कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय गैर शिक्षक कर्मचारी संघ की अनिश्चितकालीन हड़ताल तीसरे दिन भी जारी

खबरें अभी तक। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय गैर शिक्षक कर्मचारी संघ की अनिश्चितकालीन हड़ताल तीसरे दिन भी जारी है। कर्मचारियों का कहना है कि, मांगे नहीं मानी तो आरपार की लड़ाई होगी,  कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय प्रशासन पर प्रमोशन नियमो को तोड़ने और तनख्वाह रोकने के आरोप लगे हैं।  कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में तालाबंदी हड़ताल शत प्रतिशत कामयाब और विश्वविद्यलय के सभी कार्य पूर्ण रूप से ठप हैं। छात्र अलबत्ता हड़ताल का हर्जाना भुगत रहे हैं।

कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय गैर शिक्षक कर्मचारी संघ की अनिश्चितकालीन हड़ताल तीसरे दिन भी जारी है। खुद देखे सभी विभागों पर कैसे ताले लटके हैं। जिससे हड़ताल शत प्रतिशत कामयाब रहने से विश्वविद्यलय के सभी कार्य पूर्ण रूप से ठप पड़े हैं। लकिन हजारों छात्र उनके अभिभावक जिन्हें एडमिशन लेना है या एग्जाम का फार्म भरना है या कोई भी काम हैं। मारे मारे फिरना पड़ रहा है। लकिन कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय प्रशासन के कानो पर जूं तक नहीं रेंगने से हड़ताल लंबी खींचने के पुरे पुरे आसार हैं। भले ही लोग परेशान होते रहे,  कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय प्रशासन पर प्रमोशन नियमों को तोड़ने और तनख्वाह रोकने के आरोप के साथ साथ कई बार समझौता होने के बावजूद वायदा खिलाफी का आरोप हैं।

कुंटिया के आह्वान पर विश्वविद्यालय के सभी कर्मचारी प्रशासनिक ब्लाक के सामने इकठे हुए और विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ ज़ोरदार नारेबाजी की ढ्ढ कुंटिया के सभी नेताओं ने अपने अपने विचार रखे ढ्ढ सभी की यह एकमत से राय थी कि इस बार प्रशासन के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ी जाए। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय गैर शिक्षक कर्मचारी संघ–कुंटिया प्रधान रामकुमार गुज्जर ने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय प्रशासन पर प्रमोशन नियमों को तोड़ने और तनख्वाह रोकने के आरोप के साथ साथ सातवे वेतन आयोग का एरियल नहीं देने का आरोप लगाया और कहा  कि कई बार समझौता होने के बावजूद विश्वविद्यालय प्रशासन अपनी बात से पीछे हट जाता है।

अब जरा विश्वविद्यालय प्रशासन यानि विश्वविद्यालय प्रवक्ता के भी तर्क सुने, जनाब कहते है कि बातचीत के दरवाजे आज भी खुले है खुले तो है लकिन पिछली बार हुए समझौते को कौन लागू करवाएगा। चलो अब नियमों वरिष्ठा सूचि को तोड़ प्रमोशन देने पर जनाब से जब कोई संतोषजनक जवाब नहीं बन पाया तो बात को जलेबी की तरह गोल गोल घुमाने लगे और कहा एक आध मानदंड को दरकिनार किया जा सकता है। वहीं इस हड़ताल का हर्जाना विश्वविद्यालय के छात्रों और उनके अभिभावकों को उठाना पड़ रहा है। प्रतिदिन सैंकड़ो छात्र दूर दराज के क्षेत्रो से विश्वविद्यालय में अपने कार्य के लिए आते हैं। लेकिन उन्हें निराश लौटना पड़ता है।