एक बेबस मां-बाप जो अपने बच्चे को जंजीरों से बांधने को है मजबूर

ख़बरें अभी तक। जहां एक तरफ गरीबी मनुष्य को लाचार और बेबस बना देती है और मनुष्य गरीबी के चलते अपने बच्चों की परवरिश भी ठीक से नहीं कर पाते है और बेबस लाचार मनुष्य अपने बच्चे को पैसे के अभाव में इलाज तक नहीं करा पाते है. हम बात कर रहे है देवरिया जिले के देसही ब्लॉक के देसही गांव की जहां बैजनाथ प्रजापति का परिवार रहता है यह बहुत ही गरीब परिवार है यह परिवार मिट्टी का बर्तन बनाकर अपना जीवन यापन करते है बैजनाथ के तीन बेटिया और दो बेटे है बैजनाथ ने अपने एक बेटी और एक बेटे की शादी कर दी है अभी दो बेटियों और एक बेटे की शादी करना बाकी है.

इनका बड़ा बेटा है संतोष इसकी भी शादी हो चुकी है इसके दो बच्चे भी है लेकिन संतोष की जिन्दगी लोहे के जंजीर मे जकड़ी हुई है कारण इस परिवार के पास इलाज के लिए पैसे नहीं है संतोष की दिमागी हालत ठीक नहीं होने के चलते इनके परिवार वालो ने इनको जंजीरो में दो माह से जकड़ रखा है और इस जंजीर में लगे है दो बड़े ताले एक ताला संतोष के हाथ में और दूसरा उसके पैर में इस तस्वीर को देख आपके के भी रोंगटे खड़े हो जाएंगे कि किस तरह एक नौजवान की जिंदगी जंजीरो में कैद है काश इस लाचार मां बाप के पास भी पैसे होते तो यह अपने कलेजे के टुकड़े को जंजीरो में नहीं बांधते और नौजवान संतोष आजाद जीवन जी सकता.

वहीं संतोष के परिजनों का कहना है की हम क्या करे हम मजबूर है हमारी कोई मदद नहीं करता है हम बहुत ही गरीब है हम मिट्टी का बर्तन बनाकर जीवन यापन करते है हमने अपने बच्चे का जब तक दवा इलाज कराया तब तक ठीक था अब हम लोगों के पास पैसे नहीं है इस लिये हम अपने बच्चे का इलाज नहीं करा पा रहे है सरकार भी हमारी कोई मदद नहीं कर रही है हम लोगों ने कई जगह गुहार लगाई है लेकिन हमारी कोई सुनता तक नहीं है और तो और हमारे पास न तो कोई राशन कार्ड है नहीं घर, अब हम लोग हार चुके है अब हमारे पास पैसे नहीं है और यह किसी को मार देता है इसलिए हमने अपने कलेजे के टुकड़े को जंजीरो में बांध दिया है वहीं ग्रामीणों का कहना है की संतोष थोड़ा बिक्षिपत है कभी कभी इसका दिमाग काम नहीं करता है यह चौराहे पर भी आता है. लोगों से ठीक से बात भी करता है लेकिन कभी कभी इसका दिमाग काम नहीं करता है इस लिए इसके मां बाप ने इसे जंजीर में बाधा है.

सबसे हैरान करने वाली बात है कि एक पिता अपनी आंखों के सामने अपने कलेजे के टुकड़े को लोहे के जंजीरो में बांध कर कैसे जीवन जी रहा होगा ? वहीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री देश के कोने कोने और गांव गांव तक योजनाओं को पहुंचाने की बड़े बड़े ढिढोरे पीट रहे है और मानवता को शर्मशार करती उनके अधिकारियों और योजनाओं की नजर इस बेवस पिता और पुत्र तक नहीं पहुंच रही है काश इस बेवस और लाचार पिता और पुत्र पर सरकार के इन अधिकारियों की नजर पड़ती तो आज एक बेवस पिता का पुत्र संतोष जंजीरो की बेड़ियों से आजाद होता.