सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद इस गांव के लोग खूले में शौच जाने को है मजबूर

ख़बरें अभी तक। सरकार के तमाम प्रयास के बाद भी कई ऐसे गांव है जहां ग्रामीणों को मजबूरन खुले में शौच जाने को मजबूर होना पड़ रहा है. कहने को सरकार शहरी इलाकों से लेकर ग्रामीण इलाकों तक शौचालय बनाने के लिए करोड़ों रूपए का भारी भरकम बजट पानी की तरह बहा रही है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है.

बता दें कि ललितपुर के विकास खण्ड बिरधा के अंतिम छोर पर बसे एक गांव भड़याबारा का में स्वछता अभियान के तहत चलाई जा रही सभी योजनाएं की पोल खुल गयी. हमने जब ग्रामीणों से शौचालय के बारे में जाना तो ग्रामीणों ने बताया कि वह कई बार ग्राम प्रधान से लेकर खण्ड विकास अधिकारी से गांव में शौचालय बनवाने की मांग कर चुके है. लेकिन अधिकारियों की उदासीनता के चलते वर्षों से गांव में एक भी शौचालय का निर्माण नहीं कराया गया है.

मजबूरन ग्रामीण को गांव के पास खेतों और जंगलो में खुले में शौच जाना पड़ रहा है. गांव की महिलाओं ने अपनी पीड़ा बताते हुए कहा कि खुले में शौच जाने से कई महिलाओं के साथ आपराधिक घटनाये भी घट जाती है और कई जंगली जानवरों और जहरीले जीव जन्तुओं के शिकार हो गये है. लेकिन अधिकारी और जनप्रति इस और अब तक उदासीन बने हुए है.

विकास खण्डों के दफ्तरों में अधिकारी टेबिल पर बैठे बैठे गांव को खुले में शौच मुक्त करने का दावा कर रहे है लेकिन सच्चाई यही है कि जिले में ओडीएफ हो चुके गांव के लोग आज भी शौटालय के अभाव में खुले में शौच जाने को मजबूर है. वहीं जिलाधिकारी मानवेन्द्र सिंह ने इस मामले से अनभिज्ञता बताते हुए पूरे मामले की जांच कराने के निर्देश दिए है.