30 लाख रुपयों का गबन, प्रशासन ने दिए जांच के आदेश

खबरें अभी तक। केंद्र सरकार करोड़ो रुपयों का भारी भरकम बजट खर्च कर ग्राम पंचायतो को मजबूत करने की मुहीम में लगी. लेकीन ग्राम पंचायतो में बैठे ग्रामों के नुमाईदे ही गांवो के विकास की तमाम योजनाओं का बंटाधार करने में लगे हुए है. गांवो की सड़के, बंधी निर्माण,स्वच्छ भारत मिशन और शौचालय जैसी तमाम योजनाओं के पैसों का बंदरबांट इस तरह किया जाता है कि धरातल से काम ही गायब हो जाता हैl ऐसा ही एक मामला सामने आया हमीरपुर जिले में जहाँ ग्राम प्रधान ने गाँव के विकास के लिए 66 लाख रुपयों में से 30 लाख रुपयों का गबन कर डाला. ग्रामीणों की शिकायत के बाद जिला प्रशासन ने टीम गठित कर विकास कार्यो की जाँच शुरू कर दी है।

सड़को में बजबजाता हुआ कीचड़,जगह जगह लगे कूड़े के ढेर और शौचालय की मांग करते हुए सैकड़ो ग्रामीणों की भीड़ यहाँ हुए विकास कार्यो की पोल खोलने को काफी है. यह है योगी सरकार द्वारा घोषित आदर्श गांव जहाँ विकास के नाम पर ग्राम पंचायत में लाखो रूपये का बजट खर्च कर यहाँ की सड़को नालियों. तालाबो को कागजो में तो पूरी तरह चमका दिया गया है लेकीन यहाँ के हालात आप खुद देख सकते है और अंदाजा लगा सकते है, की यहा केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं की जमीनी हकीकत क्या है ? अगर गरीब ग्रामीण ग्रामीण प्रधान से शौचालय की मांग कर दे. या साफ सफाई की मांग कर दे तो प्रधान का जबाब क्या होता है।

आप खुद सुनिए इन ग्रामीणों से हमीरपुर जिले के राठ तहसील के अकौना गांव में ग्राम प्रधान जुलेखा के पति महबूब खान प्रधान प्रतिनिधी है. जिन्होंने गाँव के विकास कामो मे गोलमाल तो किया ही साथ ही साथ वो पूरा काम भी डकार गए जिसकी शिकायत ग्रामीणों ने लामबंद होकर जिलाधिकारी से की तो जिलाधिकारी ने तीन सदस्यीय टीम गठित कर दी. जब जाँच टीम ने गांव में विकास कार्यों का लेखा जोखा खंगाला तो पाया कि आधे से ज्यादा काम धरातल पर हुए ही नही. जिन कामो का पैसा कागजो में दर्ज कर खर्च किया जा चूका है वो काम या तो हुए ही नहीं या आधे अधूरे हुए है. वही अब जांच टीम के अधिकारी इस घपले की रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौपने की बात कह रहे है।

2017 में इस को आदर्श गाँव घोषित किया गया था. यहाँ सडक ,बिजली ,पानी ,घर घर शौचालय जैसी कई योजनओं के नाम में लाखो का बजट दिया गया. मनरेगा के तहत लोगों को रोजगार देने की कोशिश भी गयी लेकीन यहाँ मनरेगा के जाब कार्ड उनके बने जिन्होंने कभी मजदूरी नहीं की यहाँ तक दो पंचायत सदस्यों राम हेतू और वीरेन्द्र को भी मनरेगा का मजदूर बना दिया गया. कागजों में बने नाले ,बंधियां ,खरंजे ,सडके सिर्फ और सिर्फ कागजो सिमट गये. महज ढाई साल के कार्यकाल में प्रधान द्वारा 66 लाख के विकास कार्य करवाये लेकिन जांच टीम ने आधे ही काम जमीन में पाए l प्रधान ने गांव को विकास को प्राथमिकता न मानकर अपनी जेबे भरी  जिसका खामियाजा अब ग्रामीण भुगत रहे है l

मोदी जी और योगी जी आप भी अपने इन आदर्श गाँवो के विकास की तस्वीरों को देखे. जिनके विकास के लिए आप करोडो रुपये पानी की तरह बहा रहे है लेकीन वो कहाँ जा रहा है और उन पैसो से किसका भला हो रहा है यह साफ पता चल जायेगा. गांव के विकास की बागडोर जब ऐसे भ्रष्ट प्रधानों के हाथ मे होगी तो गांव या क्षेत्र का विकास कैसे संभव होगा. अब जरूरत है ऐसे प्रधान या ग्राम विकास अधिकारियों पर शक्त कार्यवाही की ताकि गरीबो के खून पसीने के पैसो की लूट में लगाम लग सके और गाँव वाकई में आदर्श गाँव बन सके  l