25 फीसदी से कम परिणाम देने वाले स्कूली शिक्षकों को फरमान जारी

ख़बरें अभी तक। बोर्ड की परीक्षाओं में 25 फीसदी से कम परिणाम देने वाले स्कूली शिक्षकों की इंक्रीमेंट रोकने के फरमान से हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ भड़क गया है. संघ ने इस तुगलकी फरमान को वापिस लेने की मांग की है. विभाग की ओर से प्रदेश के 31 के करीब शिक्षकों को दसवीं कक्षा का 25 फीसदी से भी कम परिमाण देने पर इंक्रीमेंट रोकने के आदेश जारी कर दिए गए है. संघ की ओर से इस फ़ैसले का विरोध जाताया जा रहा है और सरकार को इन आदेशों को वापिस लेने की मांग की गई है.

संघ के अध्यक्ष वीरेंद्र चौहान ने कहा कि प्रदेश सरकार ने अपने विजन डॉक्यूमेंट में जो वादे किए थे उन्हें पूरा करना भूल गईं है, ना ही पैट, पैरा ओर पीटीए को नियमित किया जा रहा है ना ही नियमितीकरण के लिए कोई नीति बनाई जा रही है. सरकार ने कहा था कि नियमितीकरण के लिए एक एक्ट बना कर उसे विधानसभा में पारित किया जाएगा लेकिन इस प्रकिया को अभी तक पूरा नहीं किया गया है. संघ ने एसएमसी के आधार पर स्कूलों में शिक्षा दे रहे शिक्षकों के लिए भी नीति बनाने का जो विचार सरकार की ओर से किया जा रहा हैं उसका विरोध किया. संघ ने मांग उठाई कि एसएमसी शिक्षकों को नियमित करने से पहले सरकार उन शिक्षकों को नियमित करे जो पहले से ही स्कूलों में सेवाएं दे रहे है. इसके साथ ही संघ ने सरकार के उस फ़ैसले को भी वादाखिलाफी करार दिया जिसके तहत सरकार ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में नई पैंशन योजना को बंद कर पुरानी पैंशन योजना बाहाली के लिए मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में पैंशन योजना समिति का गठन करने की बात की थी. इस वादे के तहत अभी तक इस समिति का गठन नहीं हो पाया है.