अतिक्रमण की चपेट में आया नारनौल शहर

ख़बरें अभी तक। इन दिनों नारनौल शहर पूरी तरह से अतिक्रमण की चपेट में है. बाजारों में दुकानदारों द्वारा अपनी-अपनी दुकानों के आगे सामान लगाकर अतिक्रमण किया हुआ है. यह स्थिति नारनौल की किसी एक इलाके की नहीं, बल्कि शहर के तमाम बाजारों की है. चाहे वो लोहा मंडी हो, अनाज मंडी या फिर बस स्टैंड का एरिया. नारनौल शहर पूरी तरह से अतिक्रमण की चपेट में आ चुका है. दुकानदारों द्वारा अपनी दुकानों के आगे आम रास्तों पर सामान लगाकर अतिक्रमण करने में लगे हुए है, हालांकि जिला प्रशासन ने एक माह पूर्व अतिक्रमण हटाओ अभियान की शुरूआत की थी, लेकिन दो दिनों के बाद इस अभियान को बंद कर दिया गया. आज शहर के हालात यह हैं कि अनेक मार्गों से निकलना इतना मुश्किल हो गया है कि अनेक मर्तबा तो सरकारी अस्पताल तक एम्बुलेंस भी नहीं पहुंच पाती.

लोगों की मानें तो दुकानदार एक-दूसरे के अतिक्रमण को देखते हुए आगे बढ़ जाते है. बाजारों में आने वाले लोग इस तरह के अतिक्रमण को लेकर काफी परेशान है, आए दिन आम राहगीरों और दुकानदारों के बीच इस बात को लेकर नौंक-झौंक होना भी आम बात हो गई है. नारनौल की अनाज मंडी व लोहा मंडी के हालात सबसे खराब है. अपनी-अपनी दुकानों के आगे सामान लगाकर अतिक्रमण करना दुकानदारों की रोज की आदत बन गई. लोगों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि बगैर सूचना दिए नगर परिषद के अधिकारी व कर्मचारी बाजारों में जाकर ऐसे दुकानदारों का सामान जब्त करे. ताकि दोबारा से अतिक्रमण नहीं कर सकें.

इस मामले में नगर परिषद के कार्यकारी अधिकारी अभय सिंह यादव का कहना है कि नगर परिषद समय पर अतिक्रमण हटवाने की कार्रवाई करती है. लेकिन कर्मचारियों की कमी के चलते कई बार इस अभियान को बीच में ही बंद करना पड़ता है. उन्होंने कहा कि शहर में अतिक्रमण को लेकर हालात खराब है. शीघ्र ही इस पर दोबारा से कार्रवाई शुरू की जाएगी. नगर परिषद द्वारा अतिक्रमण हटाओ अभियान की शुरूआत तो की गई थी, लेकिन राजनीति दखलअंदाजी के चलते दो दिन में ही अतिक्रमण हटाओ अभियान को बंद करना पड़ा. आज हालात यह है कि बाजारों के अनेक मर्तबा नारनौल सरकारी अस्पताल में जाने वाली एम्बुलेंस भी जाम में फंस जाती है. जिसके कारण मरीज को एम्बुलैंस में ही दम तक तोड़ना पड़ा है. अब देखना होगा कि अतिक्रमण हटाने को लेकर जिला प्रशासन व नगर परिषद इस अभियान को कब शुरू कर पाती है.