दिव्यांग का कमाल, गरीब बेटियों को बनाया आत्मनिर्भर

खबरें अभी तक। दिल में कुछ कर गुजरने की चाहत हो तो मंजिल खुद व खुद मिल जाया करती हैं ।जी हां यही कारनामा कर दिखाया हैं दिव्यांग मानीरा खातून ने । मानीरा खातून दोनों  पैरों पर चल नहीं सकती और उन्हें बैसाखियों का सहारे चलना पड़ता हैं लेकिन नेक इरादे और बुलंद होंसले इंसान की मंजिल में कभी भी रोड़ा नहीं बनते हैं मानीरा खातून चम्बा ज़िला के नैला गाँव की रहने वाली हैं वो बचपन से ही दिव्यांग हैं।और इनका सपना था कि वो किसी पर निर्भर ना रहे फिर क्या था मानीरा खातून ने सिलाई कढ़ाई का काम चम्बा शहर में जा कर सीखा जब अपने गाँव वापिस आयी तो धीरे धीरे लोग कपडे सिलाने लगे फिर मानीरा खातून की मेहनत रंग लाने लगी ।

लोग दूर दूर से कपडे सिलाने के लिये आने लगे । फिर मानीरा खातून ने सोचा जैसे में आत्मनिर्भर हूँ क्यों ना उन गरीब बेटियों को भी आत्मनिर्भर बनाया जाए ।फिर उन्होंने कई गाँव को लड़कियों को कपडे सिलाई का काम सिखाना शुरू किया फिर ये करवा आगे बढ़ता गया मानीरा खातून के पास कपडे सिलाई का काम सिखने में लड़कियीं की होड़ सी लगने लगी । पिछले आठ सालों में मानीरा खातून ने 200 से अधिक गरीब और बेसहारा लड़कियों को आत्मनिर्भर बनाने का काम किया और जो लड़कियां मानीरा खातून से सीख के गयी हैं वो आत्मनिर्भर हैं और हर महीने पांच ऐ छे हजार कमा लेती हैं।

क्या कहती हैं सीखी हुई लड़कियां जो आत्मनिर्भर बानी हैं।

वहीँ दूसरी और मानीरा खातून के पास सिलाई कढ़ाई का काम सीखने  वाली लड़कियों का कहना हैं कि हमने मानीरा खातून के पास सिलाई कढ़ाई का काम सीखा और मानीरा खातून ने हमें मुफ्त में सिखाया इन्होंने दो सौ से अधिक लड़कियों को कपडे सिलाई का काम सिखाया हम महीने का चार पांच हजार रुपये कमा लेती हैं और हम आत्मनिर्भर हैं हमें किसी पे निर्भर होने की जरूरत नहीं हैं ।

क्या कहती हैं दिव्यांग मानीरा खातून

वहीँ दूसरी तरफ मानीरा खातून का कहना हैं कि वो बचपन से ही दिव्यांग हैं ।और अपने पाँव पे चल नहीं सकती ।लेकिन होंसले बुलंद थे कुछ करना चाहती थी फिर मैंने कपडे सिलाई का काम शहर में जाकर सीखा और वहां से जब अपने गाँव वापिस आयी तो अपना काम शुरू किया फिर धीरे धीरे लोग कपडे सिलाने लगे उन्हें मेरा काम पसंद आया तो लोग दूर दूर से कपडे सिलाने आने लगे फिर मैंने गरीब लड़कियों को सिखाना शुरू किया किया जैसे में खुद आत्मनिर्भर हूँ वैसे ही लड़कियों को आत्मनिर्भता बनाना शुरू किया मैंने दो सौ से अधिक गरीब बेसहारा लड़कियों को कपडे सिलाई का काम सिखाया आज वो सब अपना अपना कमाती है हर लड़की महीने का पाँच से छे हजार कमा लेती हैं मुझे काफी खुशी हैं कि जो मैंने सिखया आज वो उन लड़कियों के काम आ रहा हैं ।