अगर आपको भी है ‘शुभ मंगल सावधान’ वाली दिक्कत, तो इन उपायों से पाएं निजात

खबरें अभी तक। इरेक्टाइल डिस्फंक्शन ऐसी समस्या है जिसमें पुरुषों का प्राइवेट पार्ट इंटरकोर्स के दौरान पर्याप्त उत्तेजित नहीं हो पाता. ऐसा कई कारणों से हो सकता है. कभी कभार तो किसी दवा के दुष्प्रभाव से या फिर कई बीमारियों जैसे वस्क्यूलर, न्यूरोलॉजिकल बीमारियों, डायबीटीज या प्रॉस्टेट संबंधी उपचार या सर्जरी से यह समस्या पैदा हो सकती है. करीब 75% मर्दों में यह जटिल कारणों से होता है.

हार्वर्ड के एक अध्ययन के मुताबिक रोजाना 30 मिनट की वॉक से इरेक्टाइल डिस्फंक्शन का जोखिम 41 प्रतिशत कम हो जाता है.  औसत व्यायाम करने से भी मोटापे के शिकार मर्दों में यह समस्या कम हो जाती है.

मैसचूसिट्स मेल एजिंग स्टडी के अनुसार, प्राकृतिक आहार जैसे फल, सब्जियों, अनाज और मछली जैसे पौष्टिक आहार और कुछ मात्रा में रेड मीट और रिफाइंड ग्रेंस से इस जोखिम को कम किया जा सकता है. विटमिन बी12 और विटमिन डी की भारी कमी से भी यह समस्या पैदा हो जाती है. रोजाना मल्टीविटमिन और फोर्टिफाइड फूड से प्रौढ़ों में भी यह समस्या दूर हो जाती है.

हाई बीपी, हाई ब्लड शुगर, हाई कलेस्ट्रॉल और हाई ट्रिगलीसेराइड्स हृदय की धमनियों को नुकसान पहुंचाते हैं और इससे हृदयाघात और मस्तिष्काघात भी हो सकता है। इसका नतीजा इरेक्टाइल डिस्फंक्शन के रूप में भी सामने आता है। HDL यानी गुड कलेस्ट्रॉल की कमी और मोटापा बढ़ना भी इसके कारण हैं.  अपने डॉक्टर से मिलें और जानें कि कहीं कोई वैस्क्यूलर प्रणाली तो प्रभावित नहीं है ताकि आपका दिल, दिमाग ठीक रहे और सेक्स स्वास्थ्य बना रहे.

दुबला पतला रहने का प्रयास करें.  कमर की मोटाई अगर 40 इंच तक पहुंच जाए तो ऐसे पुरुषों में 32 इंच कमर वाले मर्दों के मुकाबले इरेक्टाइल डिस्फंक्शन का जोखिम 50 प्रतिशत अधिक होता है. लिहाजा वजन नियंत्रण में रखें। मोटापे से वैस्क्यूलर विकार और मधुमेह का जोखिम बढ़ता है और ये इरेक्टाइल डिस्फंक्शन के प्रमुख कारण हैं. अतिरिक्त फैट पुरुषों के हार्मोंस को प्रभावित करते हैं और यह भी समस्या की जड़ हो सकता है.

एक्सर्साइज का मतलब डोले बढ़ाने से नहीं है.  कूल्हे मजबूत रहेंगे तो प्राइवेट पार्ट में सख्ती लाने में मदद मिलती है और रक्त प्रवाह उसी ओर बना रहता है.  एक ब्रिटिश परीक्षण के दौरान 3 महीने की रोजाना कमर एवं कुल्हों की एक्सर्साइज के साथ बायोफीडबैक और जीवनशैली में परिवर्तनों जैसे धूम्रपान छोड़ना, वजन कम रखना, शराब का सेवन सीमित करना आदि से बहुत अच्छे नतीजे मिले हैं.