जश्न-ए -आजादी की धूम के बीच एक फौजी परिवार की दुख भरी दांसता

खबरें अभी तक। देश में समरजीत के खुलासा अभी शांत भी नहीं हुआ था कि यूपी के जनपद हापुड़ में एक ऐसा ही मामला सामने आ रहा है। यहां एक फौजी की पत्नी ने दावा किया है कि उनका पति पाकिस्तान की जेल में बंद है और सरकार ने उनके पति को लापता घोषित किया हुआ है। देश भर में जश्न-ए -आजादी मानाने की तैयारी चल रही है। लेकिन जनपद हापुड़ के जिला मुख्यालय से 17 किलोमीटर दूर गांव लुखराड़ा में फौजी का एक परिवार आज तक जश्न-ए- आजादी नहीं मना पाया है। क्योंकि परिवार का मुखिया पाकिस्तान की जेल में बंद बताया जा रहा है।

फौजी आखिक अली की पत्नी भी इस उम्मीद में है कि एक दिन उनका फौजी पति वापस लौट आएगा और उनके घर भी जश्न-ए-आजादी को मनाया जाएगा। 1971 से आज तक फौजी की पत्नी सपने देख रही है कि उसका पति एक दिन वापस जरूर लौटेगा और परिवार में ये उम्मीद समरजीत मामले के बाद जगी है। फौजी की पत्नी ने ये भी बताया है की उनको ये भी पता चला है कि उनके पति पाकिस्तान की जेल में बंद है और सरकार ने उनको लापता घोषित किया हुआ है और अभी तक सैनिक को कोई शहीद का दर्जा भी नहीं दिया गया है।

हापुड़ तहसील के गांव लुखराड़ा निवासी जुम्मा के पांच बेटो में से एक बेटा आशिक अली 1961 में सेना में भर्ती हुए थे और 1969 में वो घर से ड्यूटी के लिए गए इसके बाद 1971 में बंगलादेश मुक्ति आंदोलन को लेकर भारत -पाक में युद्ध शुरू हो गया। इसमें आशिक अली ने भी हिस्सा लिया जिसमे भारत की जीत हुई थी और पाकिस्तान के एक लाख सैनिकों ने भारत के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था। लेकिन इस दौरान भारत के 28 जवान और अफसर पाक सीमा से गायब हो गए थे उनमे से एक आशिक अली भी थे।

जब आशिक अपने घर नहीं पहुंचे तो परिवार के लोगो ने उनको ढूंढने की कोशिश भी की लेकिन उनका कुछ पता नहीं चला। फौजी आशिक की पत्नी ने 1971 के बाद एक सैनिक उनके घर आया था जो आशिक के जुटे और बिस्तर लाया था और उसी ने परिवार के लोगो को बताया था की आशिक के पैर में गोली लगी थी और फिर वह पाक सीमा से गायब हो गए थे जिनका कुछ पता नहीं चला था वही जब कुछ साल पहले समरजीत मामला खुला था तो परिवार को पता चला की आशिक अली पाकिस्तान की जेल में बंद है जिनका आज भी परिवार के लोग आशिक अली का इंतजार कर रहे है।

आशिक अली की पति खातून बताती है जब उनके शौहर ड्यूटी पर गए तो वापस नहीं लौटे। वह बताती है की युद्ध में उसके पति के पैर में गोली लगी थी लेकिन एक साल तक सरकार यही कहती रही की उसके पति आशिक अली गायब है उनका कुछ पता नहीं चल रहा है। और फिर 1973 में सरकार ने 1973 में ये कह दिया की युद्ध में आशिक अली शहीद हो गए लेकिन नहीं तो उनका पार्थिक शरीर परिजनों को मिल पाया और नहीं उनको शहीद का दर्जा मिल पाया और सरकार ने घोषणा तो कर दी की उनको उनकी सहायता की जाएगी लेकिन उनको कोई सहायता नहीं दी गयी और उनको 172 रूपये में अपना जीवन जीना पड़ा कही पत्नी खातून ने बताया है की उनको कुछ साल पहले ही पता चला है की उनके पति को पाकिस्तान की जेल में बंद किया हुआ है लेकिन जबकि सरकार ने उनको छुड़ाने की कोई कोशिश नहीं की थी।

फौजी आशिक अली की पत्नी को शुरू में 63 रूपये में महीने आये तथा शहीद घोषित होने के बाद 172 रूपये की पेंशन दी गयी। खातून बतानी है की सरकार ने जमींन देने के लिए कहा था लेकिन आज तक कुछ भी नहीं मिला। आशिक अली के एक बेटी रजिया है जिसका निकाह बुलंदशहर जिले में हो गया है और आशिक अली की पत्नी गांव लुखराड़ा में अकेली रहती है फौजी आशिक अली अपने परिवार को भरोषा दिलाकर गए थे की युद्ध जितने के बाद घर आऊंगा लेकिन वह वापस नहीं लौटे।