बड़ा भंगाल गांव की हालत दुर्लभ, भूस्खलन की चपेट में आने से सारे रास्ते बंद

खबरें अभी तक। हिमाचल के कांगड़ा जिले में है बड़ा भंगाल नामक एक गांव। बैजनाथ ब्लॉक में आने वाला ये बेहद दुर्गम गांव चारो तरफ से धौलाधार, पांगी, और मणिमहेश श्रृंखलाओं से घिरा है। रावी नदी के किनारे बसे 500 लोगो की आबादी वाले इस गांव में जाने के लिए कोई सीधा रास्ता नहीं है। इस गांव की सीमाएं 3 जिलो चम्बा, लाहुल स्पिति और कुल्लू से लगती हुई है। पिछले 1 साल से यह आने वाले कई रास्तों पर प्राकृतिक आपदाओं के चलते गांव तक जाने वाले सब रास्ते कोई भूस्खलन की चपेट में आ गए, कोई पुल बह गए है। जिससे लोगों को रोज़ मर्रा की जरूरतों का सामना लाने में कई दिक्कत है और अब यहां लोगों के बुरे हाल है। सरकार द्वारा कोई मदद न आने पर धर्मशाला के प्रोफेशनल ट्रेककर रिजुल गिल ने इनकी मदद करने की ठान ली है और अपने ही प्रोफेशन के लोगों के साथ मिलकर गांव वालो की मदद के किए पहले एक ऑनलाइन कैंपेन के ज़रिए फंड्स जमा किए और अब उन्ही पैसों से लोगों के जरूरत का सामान खरीद कर 12 तारिक को कुल्लू के रास्ते के ज़रिए इस गांव तक ट्रेक करेंगे और लोगों की मदद के लिए इस दुर्गम इलाके तक जाएंगे। ताकि इस गांव के लोगों को सर्दियों का राशन दे सके। हालांकि अब सरकार द्वारा 10 तारिक को कुल्लू के पतलीकुल के रास्ते से खच्चरों पर बड़ा भंगाल के लोगों के लिए खाद्य सामग्री भिजवाई गयी है।

इस गांव के लोग भेड़ बकरियां पालते है और यही उनका व्यवसाय है। गांव तक जाने के लिए 3 रास्तों में से एक रास्ता थम्सर पास होकर था। जो खराब हो चुका है, दूसरा रास्ता रावि नदी पर पुल बांध कर बनाया गया था। जो भी बह चूका है। तीसरा और आखिरी रास्ता कुल्लू होकर जाता है। जिससे गांव तक सामान पहुंचने में करीब 5 से 6 दिन का समय लग जाता है। हालांकि थम्सर पास वाले रस्ते से भी गांव तक 4-5 दिन में ही पहुंचा जाता था। लेकिन वही गांव के लोगों के लिए एक उच्चित मार्ग है। इस दुर्गम इलाके में बसे इस गांव में अगस्त के महीने में ही बर्फ पड़नी शुरू हो जाती है और फिर करीब 8 महीनों तक इस गांव के लोग बाहरी दुनिया से कट जाते है। हालांकि गांव के कुछ लोग उपर बसी साथ की ही कुछ पंचायतो में सर्दियां बिताने चले जाते है। लेकिन गांव के बुजुर्ग और मवेशी उसी गांव में रहते है। जिनके लिए सर्दियों का सारा सामान पहले से ही इकठ्ठा करवा दिया जाता है।  इस गांव में एक ही मिडल स्कूल है जिसे अप्रैल से सितम्बर तक बड़ा भंगाल में ही चलाया जाता है और उसके बाद सर्दियों में बिड नाम गांव में शिफ्ट कर दिया जाता है। बड़ा भंगाल की सर्दिय बेहद ही खतरनाक होती है इस गांव में सम्पर्क साधने के लिए मात्र एक सैटेलाइट फ़ोन है। इसके अलावा गांव से संपर्क करने का कोई जरिया नहीं है। ये गांव पहले कई बार चुनावो में भी हिस्सा नहीं ले चूका है।

इस गांव में इस साल की खाद्य सामग्री को पहुंचना सरकार द्वारा एक विकल्प तो है, लेकिन अभी तक सरकार इस गांव की असल मांग को नहीं पूरा कर पाई है। इस गांव के लोगों की मांग है की इस गांव तक जाने वाले रास्तों को बहाल किया जाए ताकि गांव के लोग अपना जीवन अच्छे से बिता सके। वहीं इतनी दुर्गम परिस्थितियों में रहने वाले इन लोगों को ST कोटा में डाला जाए और कबीला घोषित किया जाए। हलांकि अभी तक इस गांव के लोगों को अदर बैकवर्ड क्लास में रखा गया था। लेकिन यहाँ की मुश्किल भौगोलिक स्थितियों को देखते हुए यहां के लोगो की ये दो अहम मांगे है।

परिवहन मंत्री गोविद सिंह से कुल्लू में इस गांव के बारे में पूछे जाने पर उनहोंने कहा की उन्होंने भी कुछ अखबारों और सोशल मीडिया के ज़रिये ही इस गांव की स्थिति के बारे में सुना है।

हालंकि अभी इस जगह के लिए राशन भिजवा दिया गया है और जल्द ही वह जिला प्रशासन से भी बातचित कर वह आने वाली कमियों के बारे में पता करेंगे साथ ही उनका कहना था की बड़ा भंगाल के लोगों की होने वाली दिक्कतों को दूर किया जाएगा और सीएम स्वयं भी इसका ध्यान रखते है। वहीं जब गोविन्द ठाकुर से सवाल पुच्छा गया की गांव तक जाने वाली सड़को को कब सही किया जाएगा और कब लोगों की मांग पूरी होगी। तो उनका कहना था की जल्द ही रस्तों की बहाली का काम कर दिया जाएगा और वहां के लोगों को अनुसुचित जाति में डालने के विषय पर भारत सरकार गौर करेगी।