जान जोखिम में डालकर स्कूल जाने को मजबूर बच्चे

खबरें अभी तक। बरसात के मौसम में प्रदेश के सभी नाले और नदियां उफान पर हैं। जहां जहां पुल और सही रास्ते नहीं हैं वहां आने जाने वालों को बेहद परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। खासकर महिलाओं व स्कूली बच्चों को करना पड़ रहा है। बच्चे अपनी जान जोखिम में डालकर नदियों व नालों को पार के शिक्षा ग्रहण करने के लिए मजबूर है। ऐसे में अभिभावकों अपने बच्चों की चिंता रात-दिन सता रही है। ऐसा ही एक मामला झंडूता विधानसभा क्षेत्र के तहत आने वाली घंडीर पंचायत के टप्पा, दधोग व कुजैल गांवों का है।

इन गांवों के बच्चे  उफनती सरहयाली खड्ड को पार करके शिक्षा ग्रहण करने के लिए मजबूर है। बता दें कि टप्पा, दधोग व कुजैल के लोगा आज भी मूलभूत सुविधा से वंचित है। इन गांवों के लोग स्वास्थ्य व शिक्षा आदि सुविधा के लिए तरह रहे हैं। यह क्षेत्र तीन तरफ से जंगलों से गिरा हुआ है, जबकि एक तरफ से सरहयाली खड्ड से गिरा हुआ है। टप्पा व दधोग गांव के लोगों के लिए सड़क सुविधा न के बराबर है, जो कि अभी तक कच्ची पड़ी हुई और बरसात के मौसम में यह सड़क पूरे पांच महीने बंद रहती है, क्योंकि भारी बारिश के कारण सड़क पूरी तरह खड्ड में तबदील हो जाती है।

अगर इन गांवों में अगर कोई बीमार हो जाता है, तो उस व्यक्ति को पालकी में बिठाकर मुख्य सड़क तक पहुंचाया जाता है। वार्ड मेंबर उषा कुमारी, देशराज, बालक राम, राजेश कुमार, लेखराम, बलवीर, राजकुमार, श्रवण सिंह व बृजलाल सहित दर्जनों लोगों ने बताया कि बरसात के मौसम में सबसे बड़ी परेशान बच्चों को स्कूल छोडऩे व वापस घर लाने की होती, क्योंकि सड़क बंद होने के कारण बच्चों को उफनती सरहयाली खड्ड को पार करवाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। ग्रामीणों ने सरकार से मांग की है कि शीघ्र ही सरहयाली खड्ड पर पुल का निर्माण किया जाए, ताकि बच्चों को स्कूल भेजने में दिक्कतों का सामना न करना पड़े।

उधर इस बारे में घंडीर पंचायत की प्रधान रोशनी देवी ने बताया कि गांववासियों की मांग पर संबंधित गांव के लिए पुल के निर्माण के लिए प्रस्ताव बनाकर सरकार को भेजा है, लेकिन अभी तक हमारी समस्या का समाधान नहीं हुआ है। उन्होंने  सरकार से पुल का निर्माण प्राथमिकता से करने की मांग की है।