VIP कल्चर की बेड़ियों में बांधे रखने वाले शब्दों के प्रयोग पर राज्यपाल ने लगाई रोक

खबरें अभी तक। हिमाचल के राज्यपाल आचार्य देव व्रत गुलाम मानसिकता की परिचायक एक और बंधन को तोड़ने की पहल कर नयी शुरुआत की है। राजभवन और राज्यपाल को वीवीआईपी कल्चर की बेड़ियों में बांधे रखने वाली दीवार महामहिम व् हिज एक्सीलेंसी जैसे संबोधन और शब्दों के प्रयोग पर रोक लगाई दी है। महामहिम व हिज एक्सीलेंसी के स्थान पर राज्यपाल महोदय या फिर राज्यपाल जी शब्द का किया जायेगा उपयोग।

अपनी अलग सोच पहचान और ज़मीन पर काम करने के लिए पहचान बनाने वाले प्रदेश के राज्यपाल ने अपनी पहचान में एक और अध्याय की शुरुआत की है। हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने वीवीआईपी कल्चर को लेकर एक बड़ा एवंसाहसिक व् सांकेतिक फैसला लिया है। राष्ट्रपति भवन की पहल पर हिमाचल के राज्यपाल ने खुद को महामहिम लिखे जाने और महामहिम के संबोधन से पुकारे जाने पर रोक लगाई है।

अब किसी भी तरह से आयोजन पत्र में संबोधन में राज्यपाल के आगे महामहिम अथवा हिज एक्सीलेंसी शब्दों का प्रयोग नहीं किया जाएगा। न ही किसी आयोजन में मंच पर से राज्यपाल के लिए महामहिम शब्द का प्रयोग होगा। हालांकि इस प्रथा पर पहल  राष्ट्रपति भवन के कहने पर हुई है, लेकिन हिमाचल के राज्यपाल ने तुरंत इस पहल को आगे बढ़ाते हुए भविष्य में इन शब्दों के प्रयोग पर रोक लगाने को कहा है। राज्यपाल के सचिव डॉ. अरुण शर्मा के कहा की इस संबंध में राजभवन से अधिसूचना जारी कर दी है। अब महामहिम व हिज एक्सीलेंसी के स्थान पर राज्यपाल महोदय या फिर राज्यपाल जी शब्द का उपयोग होगा।

बता दें कि इससे पूर्व राज्यपाल ने वीवीआईपी कल्चर की बेडिय़ां तोड़ते हुए अपने वाहन से लाल बत्ती उतारी थी। हिमाचल का राज्यपाल नियुक्त होने के बाद उन्होंने राजभवन में बरसों से स्थापित बार बंद कर दिया था। आचार्य देव व्रत ने राजभवन से शराब को विदाई दे। यहां कई सनातन परम्पराओं की शुरुआत की है।

राजभवन में यज्ञशाला स्थापित की गई। जहां हर दिन आचार्य देवव्रत एवं उनकी धर्मपति और राजभवन में रहने वाले लोग सुबह सुबह हवं और यग्य आदि नित्य रूप से करते है। राजभवन में किसी भी तरह के मांस मदिरा के वेवन पर पूर्ण प्रतिबंध है। राजभवन के रसोईघर में केवल शाकाहारी भोजन पकता है। राज्यपाल ने राजभवन में देशी नस्ल की गाय पाली है। राजभवन के जैविक खेती की एक छोटी प्रयोगशाला के तौर पर ताज़ी सब्जियां उगाई जाती और ज्यादातर इन्ही का इस्तेमाल भोजन बनाने में किया जाता है। जिसकी की देखभाल भी राज्यपाल कमोबेश खुद ही करते हैं।

बिजली की बचत के लिए  राज्यपाल ने कार्यभार संभालते ही राजभवन का सेंट्रल हीटिंग सिस्टम बंद करवा दिया। और तो और राज्यपाल देवव्रत खुद गीजर का प्रयोग नहीं करते हैं। एक साल में राजभवन तीन लाख रुपए की बिजली बचाता है। ये राज्यपाल की पहल और प्रयास से ही संभव हुआ है। आचार्य देवव्रत के राज्यपाल का कार्यभार संभालने के बाद से ही राजभवन सक्रियता का केंद्र बना हुआ है। राज्यपाल की पहल से ही हिमाचल में जीरो बजट खेती की परियोजना लागू हुई है। राजभवन माने तो ये शुरआत हालाँकि छोटी छोटी ज़रूर है। लेकिन इनके दूरगामी परिणाम और असर देखने को मिलेंगे।