तीन तलाक: ‘कुरान की रोशनी और संविधान के दस्तूर के हिसाब से होना चाहिए विधेयक’

खबरें अभी तक। ‘कुरान की रोशनी और संविधान के दस्तूर के हिसाब से होना चाहिए विधेयक’ ऐसा कहना है खुद मुस्लिम महिला संगठनों का. महिलाओं का मानना है कि  निकाह एक अनुबंध है, इसे तोड़े जाने वाले को सजा दी जानी चाहिए पर केंद्र सरकार को ध्यान रखना होगा कि सबकुछ कुरान के नियमों के हिसाब से हो. ऑल इंडिया वुमन पर्सनल लॉ बोर्ड की अध्यक्ष शाइस्ता अंबर कहती हैं कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो  देश की कोई भी मुस्लिम औरत उसे कुबूल नहीं करेगी.

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने इस बीच अपील की हुई है कि तीन तलाक विरोधी विधेयक पेश ही ना हो पाए.शाइस्ता ने कहा कि उन्होंने विधि आयोग को एक पत्र लिखकर गुजारिश की थी कि आयोग जो विधेयक संसद में भेजना चाहता है, उस पर एक बार ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, ऑल इंडिया मुस्लिम विमिन पर्सनल लॉ बोर्ड, जमात-ए-इस्लामी, जमीयत उलमा-ए-हिंद और तलाकशुदा महिलाओं पर काम कर रहीं संस्थाओं से चर्चा की जाए. उन्होंने कहा कि इस पर जवाब मिला था कि अगर जरूरत पड़ेगी तो इन सभी को बुलाकर चर्चा की जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.