श्रीखंड यात्रा में गए दो श्रद्धालुओं की मौत, नदी नाले उफान पर

ख़बरें अभी तक। श्रीखंड यात्रा में गए दो श्रद्धालुओं की मौत हो गई है. शुक्रवार को यात्रा में गए दो यात्रियों ने भीमडवार और पार्वतीबाग में दम तोड़ दिया. सूचना मिलते ही प्रशासन और पुलिस का दल रेस्क्यू ऑपरेशन में जुट गया. लगातार हो रही बारिश के कारण यात्रा में आने वाले नदी नाले ऊफान पर बह रहे हैं, जिस कारण मृतकों को अभी निरमंड लाना मुशिकल हो रहा है. मौसम अनुकूल होते ही प्रशासन मृतकों को पोस्टमॉर्टम के लिए निरमंड अस्पताल पहुंचाएगा। इस वर्ष यात्रा में मरने वालों की संख्या ४ पहुंच गई है.

बीते तीन दिनों से हो रही लगातार बारिश के चलते जिला प्रशासन कुल्लू की देखरेख में हो रही श्रीखंड महादेव यात्रा पर रोक लगा दी गई है. बारिश के कारण जहां कई स्थानों में भू-स्खलन हो गया है, वहीं श्रीखंड यात्रा के विभिन्न स्थानों पर नालों में पानी का बहाव तेज हो गया है. हालांकि यात्रा के आखिरी जत्थे में केवल २०० लोग ही रवाना हुए थे. इस वर्ष अभी तक यात्रा में ५८०० श्रद्धालुओं का पंजीकरण हुआ है.

पुलिस से प्राप्त जानकारी के मुताबिक रामपुर उपमंडल के तहत आने वाले ज्यूरी फांचा मार्ग से ८ से १० लोगों का दल श्रीखंड यात्रा के लिए रवाना हुआ था. नैन सरोवर के पास मिलने वाले इस रास्ते में इस दल के दो लोगों की तबीयत खराब हो गई और एक यात्री ने पार्वती बाग और एक यात्री ने भीमडवार में दम तोड़ दिया. ऑक्सीजन की कमी के चलते हरीश कुमार (३२), पुत्र सोहन लाल, ३३४ कुरादी, कालका पंचकूला, हरियाणा और सतरोहन लाल, निवासी सुनेई, कनजेहरा, पोस्ट ऑफिस पक्कास, तेहसील मोहनलालगंज, जिला लखनऊ की मौत हो गई.

सूचना मिलते ही प्रशासन, पुलिस और यात्रा के लिए तैनात किया गया रेस्क्यू दल घटनास्थल पर रवाना हुआ. खराब मौसम के बाद कड़ी मशक्कत कर इन दोनों मृतकों के शवों को जांओं लाया जा रहा है. क्षेत्र में लगातार हो रही बारिश और नदी नाले ऊफान पर होने के कारण रेस्क्यू करने में भी बाधा आ रही है. शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए जल्द ही निरमंड अस्पताल पहुंचाया जाएगा. एसडीएम आनी चेत सिंह ने बताया कि बीते कई दिनों से लगातार हो रही बारिश के चलते यात्रा पर रोक लगा दी गई है. प्रशासन यात्रा पर गए हुए लोगों को सुरक्षित लाने में जुटा है.

सबसे कठिन धार्मिक यात्राओं में शुमार श्रीखंड महादेव यात्रा में 2011 से अब तक करीब 27 यात्री अपनी जान गंवा चुके हैं. 18570 फीट की ऊंचाई पर स्तिथ महादेव के दर्शन करना बेहद कठिन है. एक ओर जहां 35 किमी. पैदल खड़ी चढ़ाई यात्रियों के लिये चुनौती भरी है वहीं भीमडवारी के आगे यात्रा ऑक्सीजन की कमी के चलते और भी जोखिम भरी हो जाती है, क्योंकि आजतक जितनी भी जाने यहां गई है वो भीमडवारी और पार्वतीबाग के आसपास ही गई है. भविष्य में प्रशासन इस धार्मिक यात्रा में जा रही जानो को रोकने में क्या कारगर कदम उठाता है ये प्रशासन के लिये भी किसी चुनौती से कम नहीं. यात्रा में अधिकतर बाहरी राज्यों के यात्री अपनी जान गंवा रहे है. इसका बड़ा कारण मैदानी क्षेत्र से एकदम ऊंचाई वाले क्षेत्र में यात्रा करना माना जा रहा है ऐसे में हिदायतें ये भी दी जाती हैं कि इस यात्रा को जल्द समेटने की कोशिश न करें. बल्कि बाहरी यात्री इस यात्रा को तीन दिन के बजाय पांच दिन में पूरा करें.