शहीद की पत्नी की बेटे की नौकरी के लिए गुहार, पति 1999 में हुए थे शहीद

खबरें अभी तक। कारगिल में शहीद इंद्रजीत सिंह चैहान 28 जून को देश के लिये कुर्बान हो गये। उनके परिवार में उनकी पत्नी इंदू सिंह चैहान ने काफी संघर्ष कर अपने परिवार को पाला। इंद्र सिंह चैहान 28 जून 1999 को कुपवाडा के हलमदपुरा में तैनात थे। सरकार की तरफ से शहीद के परिवार को सैक्टर 2 के पास सोनीपत रोड पर एक पैट्रोल पंप दिया गया जिससे शहीद का परिवार का गुजारा शुरू हुआ। हालांकि इंद्र सिंह चैहान बागपत के रहने वाले है लेकिन 2000 में उनका परिवार रोहतक की देव कालोनी में बस गया।

शहीद की पत्नी ने बताया कि जम्मू कश्मीर सरकार की ओर से उन्हें 2 लाख रूपये दिये गये। एक लाख रूपये की सहायता स्व0 साहब सिंह के परिवार की तरफ मिले। उन्होंने बताया कि सरकार की तरफ से पैट्रोल पंप मिला लेकिन उसके लिये काफी संघर्ष करना पडा। उनकी शहादत के 8 साल के बाद पंप अलाट हुआ। परिवार में दो बेटे है जिनमें से एक शादी कर दी और वही पंम्प को संभालता है। छोटा बेटा अभी पढाई कर रहा है।

सरकार से मांग है कि जिस तरह से सरकार ने कहा था कि शहीद के परिवार से एक को सरकारी नौकरी दी जायेगी। मैं चाहती हूं कि मेरे छोटे बेटे को सरकारी नौकरी मिले। इंद्र सिंह की शहादत के बाद उनकी पत्नी का कहना है कि कोई भी स्त्री हमेशा सौभाग्यशाली रहना चाहती है। बीमारी के बाद भी हर मुश्किल का सामना कर आज इस मुकाम तक पहुंची हूं। उनकी शहादत के बाद बच्चों की पढाई में भी बाधा आई और वहां का बसा बसाया परिवार उजड गया।

शहीद की पत्नियों को पूरी ताकत लगाकर अपने बच्चों की परवरिश करनी चाहिये और इस देश के लिये वो जितना सहयोग दे सकती है वो दे। गोली लगने के बाद भी चैहान लगातार फायरिंग करते रहे। एक पैर और एक हाथ के सहारे काफी देर तक दुश्मन से लडे। जंग जिने की कोशिश में वे खुद की जंग हार गये। इंसान चाहे किसी जाति का हो या किसी धर्म का हो जो भी हिन्दुस्तान की मिट्टी का अन्न खाता है उसे अपने देश के लिये पूरी तरह से समर्पित होना चाहिये।