सरकार की चेतावनियों के बावजुद नहीं थम रहा लेखपालों का आंदोलन

खबरें अभी तक। प्रदेश सरकार की चेतावनियों का लेखपालों पर कोई असर नहीं पड़ रहा है। अपना आंदोलन वापस लेने की बजाय लेखपालों ने आंदोलन की धार को और तेज कर दिया है। आंदोलन के 15वें दिन जिले भर के लेखपाल आज जिलाधिकारी कार्यालय के पास एकत्र हुए है और सड़क की एक लेन को जामकर धरना दिया। लेखपालों ने दो टूक शब्दों में कहा एस्मा अथवा जेल जाने का कोई डर नहीं है। लेखपालों के आंदोलन से करीब 10 हजार जाति, आय व निवास प्रमाण पत्र के प्रार्थना पत्र लंबित पड़े है। सबसे ज्यादा परेशानी छात्रों को उठानी पड़ रही है।

मालूम हो कि लेखपाल पद की शैक्षिक अर्हता स्नातक करने, पदनाम राजस्व निरीक्षक करने, प्रारंभिक वेतन ग्रेड पे 2000 से बढ़ाकर 2800 किए जाने, एसीपी विसंगतियां दूर करने, विशेष परिस्थितियों में लेखपाल के निजी अनुरोध पर प्रदेश के किसी भी जनपद में स्थानांतरण संबंधी लेखपाल सेवा नियमावली में संशोधन करने, लैपटॉप और स्मार्टफोन उपलब्ध कराने, पुरानी पेंशन व्यवस्था का लाभ प्रदान करने की मांग को लेकर लेखपाल आंदोलित हैं।

इनकी मांगों को मांनने की बजाय प्रदेश सरकार ने दो टूक शब्दों में आंदोलन वापस लेने को कह दिया है। प्रदेश सरकार ने साफ शब्दों मे कह दिया है कि यदि लेखपाल काम पर नहीं लौटे तो कड़ी कार्रवाई झेलने को तैयार रहें। प्रदेश सरकार की चैतावनियों को परवाह किए बगैर लेखपालों ने आज अपने आंदोलन को और तेज कर दिया। जिले के सभी तहसीलों के लेखपाल आज जनपद मुख्यालय पर एकत्र हुए और डीएम कार्यालय के पास ही सड़क की एक लेन जाम कर सभा में कहा कि यदि उनकी बातें नहीं मानी गई तो लेखपाल आर-पार की लड़ाई लड़ने को तैयार है।