खबरें अभी तक। रहस्यमयी आत्महत्या के गुत्थी सुलझने का नाम नहीं ले रही है। रजिस्टर के पन्ने जैसे जैसे पलट रहें हैं, वैसे वैसे राज़ पर से पर्दा उठ रहा है। उसी कड़ी में एक और राज पर से पर्दा उठा है दस साल पहले एक घटना के दौरान ललित भाटिया की आवाज चली गई थी। डॉक्टर ने आवाज जाने का कारण गर्दन की नसों का कमजोर पड़ जाना बताया था। एक तरफ वह अपना इलाज करवाते रहे थे तो दूसरी ओर तंत्रमंत्र का सहारा भी ललित ने ले लिया था, ताकि आवाज वापस आ जाए। आवाज को गए करीब 6 महीने हो गए थे, लेकिन कुछ सुधार नहीं हुआ था। इसके बाद ललित के पिता गोपाल दास की मौत हो गई। पिता की तेरही होने के बाद अचानक से ललित की आवाज वापस आ गई। लेकिन, ललित पिता की टोन में बात करने लगे थे। यह सब भाटिया परिवार के लिए किसी चमत्कार से कम नहीं था। इसके बाद ललित का झुकाव तंत्रमंत्र की ओर ज्यादा हो गया।
ललित को अपने पापा को सपने में दिखने लगे थे। वह उनसे बात भी करता था और सही रास्ते पर चलने के लिए मार्गदर्शन भी लेता था। सपने में उनसे की जाने वाली बातों को उसने रजिस्टर में लिखना शुरू कर दिया था। घर से मिले रजिस्टरों में लिखी बातें, उसी अंदाज में घटनास्थल पर दिखे हालात और पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर ने जो शुरुआती जानकारी दी, उससे सबकी मौत के पीछे की वजह फंदे से लटककर निकली जान है। इन सब स्थितियों के कारण पुलिस की जांच में यह बात तो पूरी तरह से साफ हो गई है कि ललित और उसका परिवार पूरी तरह से तंत्रमंत्र के चक्कर में ही मारा गया है, बस कडिय़ां जोड़ी जा रही हैं।
पहले कहा जा रहा था कि ललित मौन व्रत रखता था। लेकिन, क्राइम ब्रांच को रिश्तेदारों से पूछताछ में पता चला कि करीब 10 साल पहले वह शाहदरा से काम करके लौट रहा था। इसी दौरान लूटने की नीयत से बदमाशों ने उसे घेर लिया। ललित ने विरोध किया तो बदमाशों ने उसकी गर्दन दबा दी। जिससे उसकी आवाज चली गई थी। ज्वाइंट सीपी आलोक कुमार ने बताया कि ललित पहले शाहदरा में एक प्लाईवुड की दुकान पर काम करता था। इसी दौरान उसके साथ लूट की घटना हुई थी।