11 लोगों की मौत के मामले में एक और बड़ा खुलासा, ललित के शरीर में आती थी पिता की आत्मा

ख़बरें अभी तक। दिल्ली के बुराड़ी में 11 मौतों की मिस्ट्री से एक के बाद एक बड़े खुलासे होते जा रहे है. संत नगर स्थित एक घर में एक ही परिवार के 11 लोगों की मौत के मामले में बेहद ही चौकाने वाली बात सामने आई है. अब की बार मामले की पड़ताल में पता चला है कि ललित परिजनों से कहता था कि उसके शरीर में पिता की आत्मा आती है. जिसके बाद ललित ने सबको विश्वास में लिया. हैरानी की बात तो यह है कि ललित ने सबको यह सब करने के लिए राजी भी कर लिया. पूरा परिवार ललित के बताए अनुसार चलने लगे.

बरगद की जटा से लटकने से नहीं जाएगी जान

ललित के कहने पर ही शनिवार देर रात घर के सभी सदस्यों ने पहले पूजा अनुष्ठान किया फिर हवन किया था. इसके बाद वट पूजा के लिए बरगद की जटा की तरह दस लोग छत पर लगे लोहे की ग्रिल से चुन्नी व साड़ियों के जरिये लटक भी गए थे. ललित ने सभी से कहा था कि वट पूजा से भगवान के दर्शन होते है. बरगद की जटा की तरह लटक कर पूजा करने से किसी की जान नहीं जाएगी. भगवान किसी को मरने नहीं देंगे.

ललित के पिता आर्मी में थे, घोड़े के ऊपर से गिरने से हुई थी मौत

इस मामले में पुलिस ने कहा कि ललित के पिता आर्मी में थे और दस साल पहले ललित के पिता भोपाल दास भाटिया की मृत्यु हो गई थी. उनकी मृत्यु आर्मी में घोड़े से गिर जाने से हुई थी जिसमें उनकी पैर की हड्डी टूट गई थी, जिससे सेवानिवृत्ति से पूर्व उन्होंने वीआरएस ले लिया था। ललित का परिवार वैसे तो कई पीढ़ियों से काफी धार्मिक प्रवृत्ति के रहा है. पिता की मृत्यु के बाद उनका सबसे छोटा बेटा ललित कई महीने तक मौन व्रत पर था.

पूजा के दौरान पिता बन जाता था ललित

ललित ने मौन व्रत तोड़ने के बाद दावा किया था कि उनके शरीर में पिता की आत्मा आती है. वह कभी पूजा करने के दौरान पिता बन जाते था और उसके अनुसार घर के सभी सदस्यों से बात करने लगते थे. और धीरे-धीरे परिवार के सभी सदस्यों को भी यह विश्वास हो गया था कि ललित के शरीर में पिता की आत्मा आती है. इसलिए सब उसकी बातों को मानने लगे थे.

रजिस्टर में लिखा जाता था पूरे दिन में किसे क्या करना है 

पुलिस को मिली जानकारी के अनुसार ललित 2013 से प्रतिदिन घर में रजिस्टर में सभी सदस्यों के पूरे दिन के बारे में लिख देता था कि किस सदस्य को पूरे दिन से रात तक क्या-क्या करना है. किसे कब जागना है, जागने के बाद किसे क्या करना है, किस तरह के कपड़े पहनने हैं, क्या खाना है, कौन-कौन खाना बनाएंगे, कौन जोत जलाएंगे और अगर बात नहीं मानता था तो उसको सजा दी जाती थी.

बात ना मानने पर दी जाती थी सजा की धमकी

उसी तरह अगर कोई सदस्य कभी उनके निर्देश का पालन नहीं करता था तो वह पिता की आत्मा आने की ढोंग कर उन्हें नसीहत देते थे और सजा देने की धमकी देते थे. किसे कहां सोना है ये बातें भी वही बताते थे. ऐसे में माना जा रहा है कि घर के सभी सदस्य ललित की बातों को मानते थे और उनके द्वारा बताए रास्ते पर ही चलते थे. पुलिस ने जांच के लिए दर्जनों पुराने रजिस्टर भी जब्त कर लिए है.

पुलिस अधिकारी का कहना है कि ग्रिल व रोशनदान के रॉड से लटके मिले सभी दस लोगों को जिस तरह के निर्देश दिए गए थे उसका सभी ने पालन किया था. जो सब रजिस्टर लिखा हुआ मिला है. आंखों में पट्टी अच्छे से बांधनी है, पट्टी इस तरह बांधे जिससे शून्य के अलावा कुछ नहीं दिखना चाहिए. बरगद की तरह लटकने के लिए रस्सी के तौर पर सूती साड़ी या चुन्नी का प्रयोग करना है. सात दिनों तक लगातार पूजा करनी है.

मरने का दिन गुरुवार या रविवार का दिन चुनना था

सबसे बड़ी बात मौत के लिए गुरुवार या रविवार का दिन चुनना था. जिसमें सभी की सोच एक जैसी होनी चाहिए और बताया गया था कि ऐसा करने से ही तुम्हारे आगे के काम दृढ़ता से शुरू होंगे. रजिस्टर में आगे लिखा है कि हाथों की पट्टियां बच जाए तो उसे आंखों पर डबल कर लेना, मुंह की पट्टी को भी रूमाल से डबल कर लेना. जितनी श्रद्धा ऐसा करोगे उतना ही उचित फल मिलेगा.