पहले से ही पानी की कमी की मार झेल रहे लोगों की बढ़ेंगी मुसीबतें

खबरें अभी तक। अगर हालात ऐसे ही रहे तो एक बार फिर से भिवानी व आसपास के इलाके के लोगों को भारी पेयजल किल्लत से दो चार होना पड़ेगा। भिवानी शहर को प्रतिदिन जिस चालीस क्यूसिक पानी की जरूरत है उसकी मात्रा भी घटकर महज आठ से दस क्यूसिक ही रह गई है। ऐसे में अब लोगों को किस कदर पानी की किल्लत को झेलना पड़ेगा ये बात किसी से छिपी नहीं है।

भिवानी व आसपास के लोगों के लिए मुश्किल भरी खबर है। लोगों को एक बार फिर से पानी की किल्लत से दो चार होना पड़ेगा। ऐसा हम नहीं कह रहे हें बल्कि हालात कुछ ऐसे होने जा रहे हैं। देश के नंबर वन व सबसे भरेासेमंद न्यूज चैनल ने जब पानी की ग्राऊंड रिएलिटी जाननी चाही तो आप भी देखिए हालात कैसे हैं। यमुना का जलस्तर गिरकर 1300 क्यूसिक तक पहुंच गया हैं, जो काफी निचला स्तर माना जाता है वहीं मोहला हैड तक भी पानी का स्तर 200 क्यूसिक ही आंका जा रहा है। ऐसे में मोहला हैड से संचालित होने वाले ग्रुपों की नहरें भी सूख चुकी हैं। सिंचाई अधिकारियों की मानें तो यमुना एवं भांखड़ा में जल स्तर काफी नीचे जाने की वजह से हालात लगातार बिगड़ रहे हैं। वहीं पब्लिक हैल्थ विभाग भी अब पानी की कमी के चलते पेयजल आपूर्ति को सुचारू रखने के मंथन में जुट गया है।

बता दें कि सुन्दर ग्रुप की नहरों में 12 से 19 जून तक पानी छोड़ा गया था, इसके बाद प्रथम ग्रुप में निगाना ग्रु्रप की नहरों में पानी 20 जून से चला, लेकिन 21 जून को एक दिन बाद ही इस ग्रुप की नहरों में पानी का स्तर गिरकर 121 क्यूसिक तक हो गया। जानकारों का कहना है कि  निगाना ग्रुप को हैड से ही 261 क्यूसिक पानी मिला जबकि नहरों में 121 क्यूसिक पानी ही पहुंचा, जिससे की जलघर के टैंकों तक पानी पहुंचाना भी सबसे बड़ी चुनौती बन गया है। दरअसल सिंचाई विभाग ने पूरे प्रदेश में जलापूर्ति के लिए नहरी पानी को पांच प्रमुख ग्रुपों में बांटा हुआ है। प्रत्येक ग्रु्रप की नहरों में एक सप्ताह तक पानी छोड़ा जाता है जबकि 32 दिन तक नहरें बंद रहती हैं। इस शेडयूल में अलग अलग ग्रुप के अंदर नहरी पानी की डिमांड भी इलाके के हिसाब से ही की जाती है। अगर किसी ग्रुप की नहर में डिमांड से काफी कम पानी मिलता है तो फिर उसे नहरी पानी के लिए एक माह और इंतजार करना पड़ेगा। गर्मी के मौसम में तापमान लगातार बढ़ते हुए 45 डिग्री का आंकड़ा छू रहा है। ऐसे में पेयजल के लिए लोगों में हाहाकार मचना लाजमी है।

भिवानी की नहरों को पानी आपूर्ति करने वाले मोहला हैड से पानी मित्ताथल हैड को आता है। यहां से पानी जूई फीडर,गुजरानी फीडर व निगाना फीडर को दिया जाता है। अमूमन इन नहरों में एक साथ ही पानी छोड़ा जाता है। इस बार भी पानी हैड तक तो 12 जून को ही आ गया था मगर जूई व गुजरानी फीडर में ही पानी छोड़ा गया व निगाना फीडर मे पानी नहीं छोड़ा गया। जूई व गुजरानी फीडर नगहर में जो पानी दो सप्ताह चलना चाहिए था वो महज एक सप्ताह ही चलाकर बंद कर दिया गया व निगाना फीडर में पानी छोड़ा गया जो कि नाम का ही चल रहा है। इस फीडर से एक दर्जन से ज्यादा गांवों को पानी आपूर्ति की जाती है। मगर इस बार हालात इस कदर विकट हेा चले हें कि लोगों का पेयजल के लिए भी पानी मिलना मुश्किल है, मवेशियों व खेतों के लिए तो दूर की बात है। वहीं गर्मी से पेरशान कुछ युवक दिल्ली से हरियाणा में इस आस में आए थे कि उन्हें नहरों में नहाने के लिए पानी मिलेगा मगर खुद सुनिए क्या कहते हैं ऐसे युवा–

सवाल ये है कि क्या एक बार फिर जल संकट से जूझेगा भिवानी शहर–क्योंकि डेढ़ माह की तड़प के बाद 15 दिन के लिए नहरों में पानी आने की उम्मीद जगी थी, लेकिन दस दिन भी नहीं गुजरे थे कि यमुना का जलस्तर गिर गया और नहरों में पानी बंद हो गया। इस भयावह स्थिति के चलते जनस्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का पसीना सूखने का नाम नहीं ले रहा है। उन्हें भय सता रहा है कि पेयजल का भंडारण मात्र सात आठ दिन का हुआ है। अगर राशनिंग करेंगे तो यह 9 से 10 दिन चल जाएगा, इसके बाद एक माह कैसे निकलेगा, इस उधेड़बुन में ही अधिकारियों की नींद उड़ी हुई है। अब शहरवासी भी एक बार यह सोचकर ही सहम उठे हैं कि गर्मी में उन्हें पानी के लिए भी लाले पडऩे वाले हैं।

जानकारी के अनुसार  यमुना का जलस्तर अनुमान से भी काफी नीचे पहुंच चुका हैं। इस समय यमुना में मात्र 1300 क्यूसिक पानी है। जिसके चलते दक्षिण हरियाणा में पानी की जरूरतों को पूरा कर पाना चुनौती बन गया हैं, अगर निकट भविष्य में बारिश होती है तो यमुना के जलस्तर में भी सुधार आने की उम्मीद है। इसके बाद हालात काबू में जा जाएंगे।

जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग शहरी पेयजल शाखा के कार्यकारी अभियंता सुभाष यादव का कहना है कि निगाना ग्रुप में पानी का स्तर मोहला हैड से ही कम हो गया है, ऐसे में नहरों में पानी नहीं है। फिलहाल उनकी दो मोटरें चल रही हैं, जिससे की पानी का भंडारण सुनिश्चित किया जा रहा है और शहर में पेयजल आपूर्ति के समय में भी कटौती की गई है। फिलहाल राशनिंग को लेकर वे विचार विमर्श कर रहे हैं, इसके बाद जैसे हालात होंगे, उसी अनुरूप कदम उठाए जाएंगे। अधिकारियों की मानें तो इस समय भिवानी शहर के लिए ही प्रतिदिन पैंतीस से चालीस क्यूसिक पानी की जरूरत है जबकि मुश्किल से चौथे पांचवें हिस्से का यानी आठ से दस क्यूसिक ही पानी मिल रहा है।

जो पानी नहर से सीधे आऊटलेट में आना चाहिए उसके लिए भी मोटरें लगाई गई हैं। ये भी बता दें कि 12 जून को पानी आने से पहले भी लोगों को एक पखवाड़े तक भारी पानी किल्लत से दो चार होना पड़ा था तथा लोगों को मोल खरीदकर पानी लेना पड़ा था। अब नहरों में पानी आया तो आस जगी थी कि उन्हें 14 दिन नहरों में पर्याप्त पानी मिलने के बाद जब तक अगला पानी नहीं मिलता तब तक का काम चल जाएगा मगर ऐसा नहीं हुआ व इस बार तो नहरी पानी के चलते चलते ही मामला बिगड़ गया है। अधिकारी खुद मानते हें कि अगर इसी तरह के हालात रहे तो पानी के लिए लोगों को भारी किल्लत झेलनी पड़ेंगी।