धर्मशाला के पौंग डैम विस्तथापितों का मामला शांत होने का नाम नहीं ले रहा 

खबरें अभी तक। देहरा के विधायक होशियार सिंह ने सोमवार को कहा कि पौंग डैम विस्थापितों को हक दिलाने के लिए अब लड़ाई बड़े स्तर व अनोखे ढंग से लड़ी जाएगी। उन्होंने कहा कि 24 जून को नगरोटा सूरियां में करीब पांच हजार डैम आउस्टीज इकट्ठा होंगे। इस दौरान वह मुंडन कर कुछ समय के लिए पानी में जाकर जलसमाधि लेंगे। इस दौरान कैंडल मार्च भी किया जाएगा।

उन्होंने पूर्व सरकारों पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि अब तक डैम आउस्टीज का शोषण ही किया गया है। प्रभावित लोगों को गंगानगर में जमीन नहीं दिलाई जा सकती, तो उन्हें वित्तीय मुआवजा ही दिया जाए। इसमें मुरब्बों के अलावा करीब 46 वर्षों से बिना मुरब्बों के गुजारा कर रहे विस्थापितों को उनके हिस्से की भूमि में से होने वाली आय के हिसाब से भी आर्थिक सहायता दी जाए।

देहरा के विधायक होशियार सिंह ने कहा कि 1971 में 24 हजार परिवारों का कांगड़ा से विस्थापन हुआ था। उसके बाद पौंग बांध विस्थापितों के साथ बहुत बड़ा धोखा हुआ। विस्थापितों के अधिकारों का पिछले चार दशकों से हनन किया गया है। अपने अधिकारों को मांगते-मांगते दो पीढि़यां खत्म हो गई हैं। 1996 में सर्वोच्च न्यायालय ने विस्थापितों को राजस्थान के गंगानगर में ही मुरब्बे देने का फैसला सुनाया था, लेकिन हिमाचल, राजस्थान और केंद्र सरकार ने आज दिन तक उस फैसले का पालन नहीं किया।

विस्थापितों को गंगानगर की जगह जैसलमेर और रामनगर में उन जगहों पर मुरब्बे दिए गए, जहां खराब भूमि है। ऐसे में अब या तो उन्हें गंगानगर में मुरब्बे दिए जाएं या फिर वित्तीय मुआवजा दिया जाए। इससे कम वे किसी सूरत में मानने को तैयार नहीं हैं। इस मौके पर उनके साथ पहुंचे पौंग बांध विस्थापित समिति के अध्यक्ष हंस राज ने कहा कि आज तक किसी भी सरकार ने उनका साथ नहीं दिया।

राजस्थान में हिमाचल के लोगों की हत्याएं हुईं, उन्हें कुचलने के प्रयास हुए, मुरब्बे देने के नाम पर भी वहां के अधिकारी सरेआम 15-15 लाख मांग लेते थे। उन्हें आज तक इन्साफ नहीं मिल पाया है। उन्हें राज्य की जयराम सरकार से उम्म्मीद है कि वह जनता को न्याय दिलाएंगे।