विश्वविद्यालयों में अध्यापकों की नियुक्ति के लिए पीएचडी होगी अनिवार्य

खबरे अभी तक। बुधवार केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि वर्ष 20,21,22 से विश्वविद्यालयों में अध्यापकों को नियुक्त करने की अवस्था के लिये पीएचडी अनिवार्य होगी और साथ ही राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा नेट को केवल योग्यता के रूप में स्वीकार नहीं किया जायेगा। हालांकि, कालेजों में सीधे नियुक्ति के लिए न्यूनतम योग्यता के रूप में स्नातकोत्तर डिग्री के साथ नेट या पीएचडी जारी रहेगा।

फ़िलहाल विश्वविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर जैसे प्रवेश स्तर के पदों के लिए न्यूनतम योग्यता स्नातकोत्तर डिग्री के साथ नेट या पीएचडी है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग यूजीसी के नए नियमन की घोषणा करते हुए प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि अकादमिक प्रदर्शन सूचक अंक एपीआई को कालेज शिक्षकों के शोध के लिए अनिवार्य बनाने को समाप्त कर दिया गया है ताकि शिक्षक छात्रों की पढ़ाई पर ज्यादा ध्यान दे सकें।

इस पूरी कवायद का मकसद शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाना और देश की सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाओं को आर्किषत करना है । इसमें पूर्व के नियमन की सभी सुविधाओं को बनाये रखा गया है। केवल कालेज शिक्षकों के लिये एपीआई को समाप्त कर दिया है।

उन्होंने ने कहा कि अब कालेज शिक्षकों के लिये अनिवार्य रूप से शोध करना जरूरी नहीं होगा । इस पदवृद्धि  में शिक्षकों के पढ़ाने से जुड़े परिणामों को ध्यान में रखा जायेगा। अगर शिक्षक शोध करते है, तब पदोन्नति में अतिरिक्त अंक जुड़ेंगे। जावड़ेकर ने कहा कि यूनिवर्सिटी में नई नियुक्ति केवल पीएचडी धारकों की होगी।

इसके लिये तीन वर्षो का समय दिया गया है। साल 2021 से असिस्टेंट प्रोफेसर को पीएचडी धारक होना होगा। और कहा कि ऐसे भारतीय छात्र जिन्होंने देश के बाहर के 500 शीर्ष विश्वविद्यालयों से पीएचडी डिग्री हासिल की होगी, वे विश्वविद्यालयों में नियुक्ति के पात्र होंगे।