कानपुर: आईसीयू का एसी ख़राब होने से चार मरीजों की मौत

ख़बरें अभी तक। कानपूर के हैलट अस्पताल में आईसीयू का एसी ख़राब होने से चौबीस घंटे में चार मरीजों की मौत, आईसीयू में मरीज घरों से पंखा लाकर करा रहे इलाज, लगता है गोरखपुर कांड के बावजूद अभी तक उत्तर प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में कोई सुधार नहीं आया है कानपूर मेडिकल कॉलेज के हैलट अस्पताल में गुरूवार को अस्पताल प्रशासन की लापरवाही से चार मरीजों की जान चली गई अस्पताल के आईसीयू का एसी कई दिन से ख़राब चल रहा था, लेकिन उसको ठीक नहीं कराया गया जिससे गुरूवार को चार मरीजों की मौत हो गई.

कानपूर मेडिकल कॉलेज का हैलट अस्पताल आसपास के जिलों का सबसे बड़ा अस्पताल है लेकिन इसके आईसीयू का एसी कई दिन से ख़राब है लेकिन उसको सही नहीं कराया गया जिससे गुरूवार को चार मरीजों की मौत हो गई.

वहीं मरीज के परिजनों का कहना है कि मेरा बच्चा पंद्रह तारीख से यहां भर्ती है और यहां कोई व्यवस्था नहीं है हमें अपने घर से पंखा लेकर आना पड़ता है, वहीं एसी की वजह से चार मरीजों की मौत हो गई है. हैलट के आईसीयू में इस समय एक दर्जन मरीज अभी भी भर्ती है वे पंखो के सहारे इलाज करा रहे है जिन मरीजों की मौत हुई है उनके नाम , मुरारी ,गयाप्रसाद, रसूलबक्शी और इंद्रपाल है.

हैरानी कि बात यह है कि अस्पताल कानपूर महानगर के साथ साथ आसपास के एक दर्जन जिलों के मरीजों के इलाज का मुख्य केंद्र है इसके बावजूद कई दिनों से ख़राब एसी को सही नहीं कराया गया, ऊपर से अस्पताल इएमओ डॉक्टर विनय कटियार से जब एसी से मौतों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने यह सफाई दी कि मुझे अभी एसी के बारे में बताया गया है मैंने अधिकारिओं को सूचना दे दी है यह मेरी जिम्मेवारी में नहीं आता है. मै एक साल से यहां हुं,   डॉक्टर सौरभ इसके इंचार्ज है एसी से कोई मरीज नहीं मरा है सब पहले से सीरियस थे.

वहीं एसी ख़राब होने से चार मौतों की सूचना फैलते ही कानपूर प्रशासन में हड़कंप मच गया. रात बारह बजे शहर के एडीएम खुद जांच करने मौके पर पहुंचे मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य नवनीत कुमार से उन्होंने पूरी जानकारी ली आईसीयू में जाकर मरीजों का हाल देखा उन्होंने आईसीयू में चार मरीजों की मौत को स्वीकार करते हुए जांच की बात कि तो एसी ख़राब होने की बात उन्होंने नहीं मानी.

उत्तर प्रदेश में गोरखपुर की घटना के बाद यह माना जा रहा था कि जिस तरह सीएम योगी ने बच्चों की मौत के दोषी डॉक्टरों पर कार्रवाई की है उससे अन्य अस्पताल के डॉक्टरों की लापरवाही कम होगी लेकिन कानपूर हैलट अस्पताल में जिस तरह अस्पताल प्रशासन की लापरवाही सामने आई है उसे तो यही लगता है की इन डॉक्टरों को कार्रवाई का कोई भय नहीं है.