पीएम मोदी ने हिमाचल के राज्यपाल को सौंपा शून्य लागत प्राकृतिक कृषि का जिम्मा

ख़बरें अभी तक। देश में कृषि विकास की दिशा में राज्यपाल आचार्य देवव्रत अहम भूमिका निभाएंगे. शून्य लागत प्राकृतिक कृषि को विस्तार देने के लिए वह समन्वयक के तौर पर कार्य कर इस मॉडल को व्यवहारिक रूप देने के लिए रूपरेखा तैयार करेंगे. इस बाबत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्राकृतिक कृषि में उनके अनुभव को देखते हुए उन्हें जिम्मेदारी दी कि वे किसानों की आय दोगुनी करें और उन्हें आत्मनिर्भर करने की दिशा में शून्य लागत प्राकृतिक कृषि के प्रचार व प्रसार में राज्यपालों का नेतृत्व करेंगे.

राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने नई दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन में आयोजित दो दिवसीय 49वें राज्यपाल सम्मेलन में भाग लिया. इस दौरान उन्होंने कृषि के अतिरिक्त, केंद्रीय प्रायोजित योजनाओं का प्रदेश में सुचारू कार्यान्वयन, विश्वविद्यालय स्तर पर गुणात्मक शिक्षा व शिक्षा के स्तर को बढ़ाने के प्रयास, कौशल विकास, आंतरिक सुरक्षा, राजभवन के माध्यम से नव प्रोत्साहन की दिशा में कार्य तथा सामाजिक सरोकार के अन्य विषयों पर विस्तार से चर्चा की.

इस अवसर पर अपने संबोधन में राज्यपाल ने कहा कि प्रधानमंत्री के किसानों की आय को वर्ष 2022 तक दोगुना करने के संकल्प पर राज्य गंभीरता से कार्य कर रहा है. उन्होंने किसानों की आय दोगुनी करने व उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए शून्य लागत प्राकृतिक कृषि का विकल्प दिया है. गौ-पालन से जुड़ी इस प्राकृतिक कृषि की विस्तृत जानकारी को लेकर उन्होंने ‘‘शून्य लागत प्राकृतिक कृषि’’ नाम से एक पुस्तक का लेखन व प्रकाशन भी किया है, जिसे प्रदेश के किसानों को निःशुल्क वितरित किया जा रहा है. इस अवसर पर, उन्होंने यह पुस्तक राष्ट्रपति और सभी राज्यपालों को भेंट की.

हिमाचल प्रदेश के कृषि एवं बागवानी विश्वविद्यालयों में प्राकृतिक कृषि विभाग स्थापित किए गए है. विश्वविद्यालय से पी.एच.डी. कर रहे विद्यार्थियों को किसानों से सीधे जोड़ने और उनके शोध कार्य किसानों के खेत में सुनिश्चित बनाने के निर्देश दिए गए है. शोध कार्यों को खेत खलियान तक पहुंचाने की महत्वपूर्ण पहल की गई है.

राज्य सरकार ने शून्य लागत प्राकृतिक कृषि के मॉडल को गंभीरता से लिया है. राज्य सरकार ने इस वित्त वर्ष के लिए 25 करोड़ रुपये के प्रावधान के साथ ‘प्राकृतिक खेती, खुशहाल किसान’ नामक एक महत्वाकांक्षी योजना शुरू की है, जो प्राकृतिक कृषि पर आधारित है. इसके तहत प्रदेश के कांगड़ा जिला, मंडी जिला और सोलन जिलों में किसानों के प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन किया गया है. इन शिविरों को निचले स्तर तक आयोजित किया जा रहा है और मास्टर ट्रेनर तैयार कर किसानों को प्रशिक्षित किया जा रहा है.

आचार्य देवव्रत ने कहा कि राज्यपाल के तौर पर गत पौने तीन वर्षों में उन्होंने हिमाचल में 6 प्रमुख बिन्दुओं पर कार्य किया, जिनमें स्वच्छता, जल एवं पर्यावरण संरक्षण के लिए कार्य, कन्या भू्रण हत्या के खिलाफ बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ मुहिम, नशामुक्ति, शून्य लागत प्राकृतिक कृषि एवं गौ-पालन और जातिवाद एवं अस्पृश्यता को समाप्त करने के लिए सामाजिक समरसता कायम करना शामिल है. सामाजिक कल्याण के इन विषयों को उन्होंने जागरूकता अभियानों का रूप देकर समाज के हर वर्ग को इनसे जोड़ा है.

उन्होंने कहा कि हिमाचल को पर्यटन की दृष्टि से अधिक विकसित करने के लिए स्वच्छता अभियान को गति दी गई तथा पौधारोपण कार्यक्रम को निरंतरता प्रदान की तथा ‘जल संरक्षण साक्षरता अभियान’ चलाकर जल स्रोतों को पुर्नजीवित करने के लिए व्यापक स्तर पर चैकडैम बनाने की रणनीति तैयार की गई है. ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ को आगे बढ़ाते हुए कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ अभियान चलाकर कड़ा संदेश देकर बेटियों की शिक्षा, प्रोत्साहन और आगे बढ़ने का मार्ग प्रशस्त करने की सोच विकसित करने की पहल की गई है.

‘नशामुक्त हिमाचल’ का नारा देकर स्कूल, कालेजों और विश्वविद्यालय स्तर पर अभियान चलाए गए और जिम्मेवार एजेंसियों को नियमित अनुश्रवण के दिशा-निर्देश दिए है. शिमला में नशामुक्ति केन्द्र स्थापित किया जा रहा है. उन्होंने सामरिक दृष्टि से महत्वूपर्ण हिमाचल प्रदेश की पहली बड़ी रेल परियोजना, भानुपल्ली, बिलासपुर, बेरी ब्राडगेज रेल मार्ग का निर्माण कार्य लेह तक शीघ्र पूरा किया जाने, रेल व सड़क से जुड़ी बड़ी परियोजनाओं की स्वीकृति और कार्य युद्ध स्तर पर किए जाने तथा निकटतम रेलवे स्टेशन तक माल भाड़े के सम्बन्ध में दिए जाने वाले अनुदान को पुनः बहाल करने का भी आग्रह किया. राजभवन को विकसित करने के लिए जल संचयन, सौर ऊर्जा, ठोस व तरल अपशिष्ट प्रबन्धन, पौधरोपण, ऊर्जा संरक्षण और स्वच्छ भारत अभियान इत्यादि की भी जानकारी दी.