60 साल से पर्यावरण बचाने की मुहिम चला रहे है पेड़ बाबा

ख़बरें अभी तक। चरखी दादरी: पेड़ बाबा के नाम से विख्यात चरखी दादरी के 85 वर्षीय सत्यदेव सांगवान पर पर्यावरण बचाने का जुनून इस कदर चढ़ा है कि वे पिछले 60 साल से लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करने के लिए अभियान चला रहे है. सत्यदेव ने क्षेत्र में अपने अनूठे कार्य से मिसाल कायम कर रखी है. उनकी इस मुहिम को देखते हुए पंजाब के तत्कालीन राज्यपाल द्वारा उन्हें रेड एण्ड वाईटस बहादुरी पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है. उम्र के आखिरी पड़ाव में भी पर्यावरण बचाने के लिए मुहिम छेड़े हुए हैं.

इतना ही नहीं बल्कि वे पेड़ लगाने के साथ-साथ उनका लालन-पोषण भी अपने खर्चे से करते हैं. पहले साइकिल पर चलाकर पेड़ों की देखभाल की दिनचर्या रहती थी अब उम्र अधिक होने के बाद वे स्कूटी पर चलकर पेड़ों की देखभाल कर रहे हैं. दादा से प्रेरणा लेकर उनकी पोती भी अभियान में उनके साथ जुड़ी है और दादा के वर्षों पुराने पेड़ों की देखभाल कर रही है. उनका कहना है कि यदि इसी तरह लोग पर्यावरण के प्रति जागरूक हो जाएं तो पर्यावरण की रक्षा के साथ पर्यावरणीय असंतुलन से भी बचा जा सकता है.

सत्यदेव सांगवान एक ऐसे पर्यावरण प्रेमी भी हैं, जो पेड़ पौधों को बचाने की मुहिम में लगे हुए हैं. इंसान के दिलों तक पेड़ पौधों की खामोश भाषा पहुंचे और वह समझे कि बिन पेड़ जीवन सूना है. इसके लिए सांगवान पिछले 60 साल से मुहिम चला रहे हैं. उन्होंने खुद तो करीब 10 हजार से अधिक पौधे लगाए हैं. अपनी इस मुहिम में अन्य संगठनों को भी शामिल कर तीन लाख से अधिक पौधे उनसे भी लगवा दिए हैं. सत्यदेव लोगों से ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने का आह्वान करते हैं और जो लगे हैं, उन्हें भी अपने बेटे-बेटियों की तरह उनकी रक्षा का संकल्प भी दिलाते हैं. वे लोगों को समझाते हैं कि मनुष्य पुष्प और फलों से युक्त वृक्ष लगाता है.

वैसे पर्यावरण को बचाने के लिए पौधे तो लगाते ही हैं, साथ ही नि:शुल्क पेड़ बांटकर लोगों को पर्यावरण बचाने के लिए प्रेरित करते हैं. सत्यदेव सांगवान अपने घर पर ही नर्सरी तैयार करते हैं और हर वर्ष बारिश के दिनों में जगह-जगह घूमकर बड़ व पीपल के पेड़ लगाते हैं.

इतना ही नहीं बल्कि लगाए गए पेड़ों की उनकी पास पूरी लिस्ट है और लिस्ट अनुसार वे लगाए गए पेड़-पौधों का लालन-पोषण कर रहे हैं. दादरी शहर से सटे गांव फतेहगढ़ में रामानंद सांगवान के घर 15 जनवरी 1935 को जन्में सत्यदेव सांगवान 17 वर्ष भारतीय सेना में सेवा के दौरान 1962 और 1965 के दो युद्धों में देश के बहादुर सिपाही होने का गौरव हासिल कर चुके हैं. बचपन से वक्ष मित्र सत्यदेव ने सेना में कार्य करते हुए भी अवसर मिलने पर पेड़ लगाने और उनकी परवरिश करने बीड़ा उठाया है.

इनकी प्रवति उस समय और बढ़ गई जब हरियाणा राज्य परिवहन ने चालक के पद पर कार्यरत हुए. जिस मार्ग पर बस चलाई, उसी बस स्टैण्ड पर बड़ व पीपल के पेड़ लगाकर उनका प्रतिदिन देखभाल करते थे. परिवहन विभाग से सेवानिवृति के बाद विभिन्न संगठनों के साथ मिलकर पेड़-पौधे लगाना शुरू कर दिया. वे हर वर्ष अपने ही घर में लगभग 500-600 बड़ व पीपल के वृक्षों की नर्सरी लगाते हैं, जिसमें कुछ जरूरतमंदों को नि:शुल्क बांट देते हैं, बाकी सार्वजनिक व धार्मिक स्थलों पर स्वयं लगाकर उनकी परवरिश करते हैं.

पेड़ बाबा सत्यदेव सांगवान ने बताया कि वे अपने जीवनकाल में अब तक करीब 10 हजार पेड़़ लगा चुके हैं. पर्यावरण के प्रति जनमानस को जागरूक करने की कड़ी में विचार गोष्ठियों के माध्यम से पर्यावरण बचाने की मुहिम चला रहे हैं. स्वंय के संसाधनों से बड़ व पीपल के पौधों की नर्सरी के पौधों का आसपास के गांवों में वितरित भी किए हैं. उनका कहना है कि बड़ व पीपल के पौधों की नर्सरी तैयार करना एक बड़ी जटिल प्रक्रिया है, जिसे अन्य साधारण पौधों की तरह तैयार नहीं किया जा सकता अथवा एक विशेष प्रकिया के तहत इन्हें तैयार किया जाता है.

वहीं पेड़ बाबा सत्यदेव की पोती विनती सांगवान कहती हैं कि दादा के लगाए पेड़ों से उन्हें फल मिल रहा है. दादा का पर्यावरण के प्रति लगाव देखते हुए वह भी पेड़ लगाने के अभियान से जुड़ी. अब दादा द्वारा लगाए पेड़-पौधों की देखभाल भी करती हूं और कभी-कभार दादा को स्कूटी पर साथ लेकर पेड़ों की देखभाल करते हैं.