विधवाओं का एक ऐसा गांव जहां दो जून की रोटी के लिए तरसती महिलाएं

ख़बरें अभी तक। मैनपुरी: सरकारे भले ही गरीब महिलाओं के मान सम्मान व उन्हें बराबरी का दर्जा दिलाने का ढिंढोरा पीटते नहीं थक रही हो, परंतु जमीनी हकीकत तो कुछ और ही ब्यां कर रही है. आज हम ऐसे ही एक गांव की गरीब विधवा महिलाओं का जिक्र करेंगे जिस गांव को लोग उसके असली नाम से कम ओर विधवाओं का गांव के नाम से ज्यादा जानते है. शहर से सटे तीन हजार की आबादी बाले इस गांव मे आखिर क्या है महिलाओं के विधवा होने के पीछे का सच और इसके बाद उनके संघर्ष की दास्तां.

जनपद मैनपुरी शहर से सटे 3000 हजार की आबादी वाले गांव पुसैना में जैसे ही दाखिल हुए तो चिलचिलाती इस धूप में सर पर भूसा का गठ्ठर लिए हमें एक बूढ़ी महिला रामलली दिखाई दी, उम्र के इस पड़ाव पर इतनी कड़ी मेहनत के पीछे की वजह पूछी तो सरकार को कोसने का मन किया, दो रोटी के लिए संघर्ष करती रामलली ने  बताया कई वर्ष पहले  उनके पत्ति की शराब पीने से हुई बीमारी से मौत हो गयी थी. गुजारे के लिए मिल रही पेंशन मौजूदा सरकार में बंद हो गई, अब जीने के लिए मजदूरी न करे तो खाए क्या.

रामलली ने बताया उनके पत्ति की मौत दारू पीने से हो गई थी. उस वक्त से ही उन्हें मेहनत मजदूरी करके अपना व अपने बच्चों का पेट पालना पड़ रहा है. आज तक सरकार की ओर से चल रही किसी योजना का लाभ उन्हें नहीं मिला, यहां तक की लड़की की शादी में भी उन्हें कोई सरकारी मदत नहीं मिली.

इसी तरह कई महिलाओं ने विधवा होने के बाद की सच्चाई बताते हुए कहा कि कच्ची शराब के पीने से उनके पत्तियों की मौत हो चुकी है. इसके बाद उनके परिवार की सारी जिम्मेदारियां उनके ऊपर आ गई है. मेहनत मजदूरी के अलावा उन्हें कोई हुनर आता नहीं, दो जून की रोटी के चक्कर मे न बच्चों की पढ़ाई हो पाती है न ठीक से परवरिश, बच्चे जवान होते ही शराब के आदी हो चुके होते है और वक्त से पहले मौत के शिकार. यही वजह है कि यहां की महिलाओं को उम्र के आखिरी पड़ाव तक दो जून की रोटी के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है.

अब सरकार चाहे जितनी महिलाओं के बेहतर भविष्य की योजनाओं की बात करती रही हो, परंतु ग्राम पुसेना में आज तक किसी सरकारी नुमाइंदे ने इन महिलाओं का  दर्द सुनना तो दूर, विधवा पेंशन और राशन कार्ड जैसी बुनियादी सुविधाएं तक उन्हें देना मुनासिब नहीं समझा.

हमने ग्राम प्रधान से जब वजह जाननी चाही तो उन्होंने ने बताया कि गांव के अंदर कच्ची शराब का धंधा जोरो पर चलता है. जिसे पीकर कई की मौत हो चुकी है, इसपर अंकुश लगाने के लिए बहुत कोशिश की गई, कई बार अधिकारियों को भी अवगत कराया परंतु कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई.

वहीं अधिकारी से जब बात की तो उन्होंने आश्वसन देते हुए कहा कि जानकारी मिली है हम जल्द प्रयास करेंगे कि उन्हें सरकार की योजनाओं का लाभ मिले. अब कागज़ी कार्रवाई में अव्ल रहने वाला सरकारी तंत्र भले ही इस पर लीपा पोती करता रहे. परन्तु ग्राम पुसैना पर लगा विधवाओं के गांव का बद्दुमा दाग कब खत्म होगा यह बड़ा सवाल है.