हमीरपुर में लाइब्रेरी पाठकों के आगे छोटी पड़ी लाइब्रेरी

ख़बरें अभी तक। हमीरपुर जिला लाइब्रेरी पाठकों के आगे छोटी पड़ गई है और आलम ऐसा है कि लाइब्रेरी में बैठने के लिए कुर्सियां तक नहीं बची हैं. पाठकों को मजबूरन फर्श पर बैठकर स्टडी करनी पड़ रही है. लाइब्रेरी का हर कोना पाठकों से भरा पड़ा है. समस्या को लेकर दर्जनों पाठकों ने एडीसी हमीरपुर से मिलकर समस्या के हल के लिए गुहार लगाई है.

हमीरपुर मुख्यालय स्थित जिला लाइब्रेरी में पाठकों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. दूरदराज क्षेत्रों से पाठक सुबह नौ बजे से ही लाइब्रेरी के बाहर खड़े हो रहे हैं, ताकि जैसे ही लाइब्रेरी खुले तो उन्हें बैठने के लिए सीट मिल सके, क्योंकि लाइब्रेरी में कैप्सटी से ज्यादा पाठकों को बिठाया जा रहा है।.

जिला मुख्यालय में जिला लाइब्रेरी का बहुमंजिला भवन पुरानी लाइब्रेरी के बैक में ही तैयार किया जा रहा है. करीब छह करोड़ रुपए की लागत से बनाए जा रहे भवन का कार्य युद्धस्तर पर जारी है. भवन तैयार होते ही पाठकों की सभी समस्याएं दूर होंगी.

पाठकों का कहना है कि जिला लाइब्रेरी के ग्राउंड लोर में तीन-चार कमरे खाली पड़े हुए हैं. जिला प्रशासन चाहे तो उक्त कमरों में कुर्सियां लगाकर पाठकों को सुविधा प्रदान कर सकता है. पाठकों ने मांग की है कि लाइब्रेरी के टाइम टेबल में धर्मशाला व मंडी की तर्ज पर सुधार किया जाए. जिला लाइब्रेरी सुबह 11 से छह बजे तक खोली जा रही है. इसे सुबह आठ बजे से छह बजे तक खोला जाए.

गौरतलब है कि लाइब्रेरी में 30 पाठकों के बैठने का प्रावधान है फिर भी 60 के करीब पाठकों को एक साथ स्टडी के लिए बिठाया जा रहा है. लाइब्रेरी के हॉल व बरामदे में पाठकों के बैठने का प्रबंध किया गया है. फिर भी पाठकों के आगे कुर्सियां कम पढ़ रही हैं. लाइब्रेरी में तैनात कर्मचारियों का पाठकों का प्रबंध करना दिन-प्रतिदिन मुश्किल होता जा रहा है. इसके चलते वह भी बेबस नजर आ रहे हैं क्योंकि वह चाहकर भी पाठकों के हित में काम नहीं कर पा रहे हैं.