5 बार एक ही सीट से चुनाव जीतना भी बन सकता है इस नेता परेशानी की वजह

खबरें अभी तक। जगदीश शेट्टार ने राजनीति में आने से पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में सक्रिय भूमिका निभाई। इसके बाद कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद संभाला और अब हुबली-धारवाड़ सेंट्रल सीट से बीजेपी को जीत दिलाने के इरादे से मैदान में हैं। इस सीट को उनकी परंपरागत सीट माना जाता है, यहां से 5 बार विधायक रह चुके हैं।

दिसंबर 1955 में जन्मे शेट्टार 2012 से 2013 तक कर्नाटक के 21वें मुख्यमंत्री रहे। साथ ही वह विधानसभा में नेता विपक्ष और स्पीकर की भूमिका भी निभा चुके हैं। विद्यार्थी परिषद में शामिल होने से पहले वह RSS के सक्रिय कार्यकर्ता थे। 1994 में पहली बार वह विधानसभा पहुंचे और उसके बाद 1996 में राज्य में बीजेपी सचिव बनाए गए।

एस एम कृष्णा की अगुवाई में जब कांग्रेस की सरकार बनी तब शेट्टार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष थे। साल 2005 में वह राज्य में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त हुए। इसके बाद 2006 में एच डी कुमार स्वामी की अगुवाई वाली जेडीएस-बीजेपी गठबंधन सरकार में उन्हें राजस्व मंत्री का जिम्मा सौंपा गया। 2008 में पार्टी की जीत के बाद शेट्टार को विधानसभा में निर्विरोध रूप से स्पीकर चुना गया।

2009 में जब येदियुप्पा राज्य के सीएम बने तब शेट्टार को ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्रालय का जिम्मा मिला। इसके बाद येदियुप्पा ने सीएम पद से इस्तीफा दिया और शेट्टार सीएम पद के प्रबल दावेदार के तौर पर उभरे। हालांकि तब विधायकों ने सदानंद गौड़ा को अपना नेता चुना और शेट्टार को मंत्री पद से ही संतोष करना पड़ा।

उत्तरी कर्नाटक के इलाके में शेट्टार की पकड़ काफी मजबूत मानी जाती है। इस इलाके के लिए उन्होंने विकास की कई परियोजनाएं शुरू कीं, जिनमें हुबली-धारवाड़ साउथ वेस्टर्न रेलवे मुख्यालय और खालसा बंदुरी परियोजना शामिल है। जुलाई 2012 में पार्टी के कई विधायकों में गौड़ा के लिए असंतोष पनपा तो उनकी जगह शेट्टार को सीएम बनाने की मांग की गई।

बीजेपी आलाकमान ने विधायकों की बात मानते हुए जुलाई 2012 में जगदीश शेट्टार को कर्नाटक की कमान सौंपने का फैसला किया। हालांकि उनकी अगुवाई में हुए 2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को करारी शिकस्त मिली और कांग्रेस ने राज्य में सत्ता हासिल की। चुनाव के बाद शेट्टार को विधानसभा में नेता विपक्ष का पद दिया गया।

जमीन से जुड़े और शांत स्वभाव के शेट्टार के लिए इस बार चुनाव जीतना काफी मुश्किल माना जा रहा है। शेट्टार राज्य में येदियुप्पा के बाद बीजेपी के दूसरे सबसे बड़े लिंगायत नेता हैं। कांग्रेस के लिंगायत कार्ड की वजह से समुदाय के भीतर बीजेपी के प्रति नाराजगी है और इसका नतीजा शेट्टार को भुगतना पड़ सकता है।

इसके अलावा 5 बार एक ही सीट से चुनाव जीतना उनके लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है और इस बार इलाके की जनता किसी अन्य प्रत्याशी पर दांव खेल सकती है। कांग्रेस ने इस सीट से महेश नालवाड़ को टिकट दिया है। वहीं जेडीएस के राजन्ना कोरवी यहां से शेट्टार के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं।