आंदोलन और धरनों के बाद अब गांधीगिरी पर आए किसान

खबरें अभी तक किसानों को कर्ज से मुक्त करने के लिए देश में लगातार आंदोलन चल रहे हैं अलग-अलग किसान संगठन फसलों के लाभकारी मूल्य के लिए भी सरकार के खिलाफ धरना दे रहे हैं. सबसे बड़ा मुद्दा है स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करना जिसके मुताबिक किसानों को लागत मूल्य पर 50 फ़ीसदी मुनाफा दिया जाना है. आंदोलन और धरनों से हटकर पर अब किसान संगठनों ने गांधीगिरी करने की रणनीति तैयार की है. इसके लिए किसान एकता मंच और राष्ट्रीय किसान महासंघ ने हाथ मिला लिया है

 

गौरतलब है कि किसान एकता मंच में किसानों के 62 संगठन आते हैं जबकि राष्ट्रीय किसान महासंघ में लगभग 110 किसान संगठन शामिल है. अब यह सारे संगठन गांव बंद की रणनीति पर काम करेंगे और चंडीगढ़ में गांव बंद के इस अभियान को मुकम्मल बनाने के लिए किसान संगठनों के नेताओं ने रणनीति तय की है.

चुनाव से पहले तमाम राजनीतिक दल किसानों को कर्जमाफी और लाभकारी मूल्य के सपने दिखाते हैं. लेकिन सत्ता में आने के बाद किसानों की कोई नहीं सुनता लिहाजा. पंजाब महाराष्ट्र मध्य प्रदेश और कर्नाटक जैसे राज्यों में किसानों की आत्महत्या का सिलसिला बदस्तूर जारी है. किसानों ने दिल्ली को घेरने का आंदोलन भी किया लेकिन सरकार ने अपने बल से इस आंदोलन को कुचल दिया. लिहाजा अब किसानों ने अपने गांव में रहकर ही सरकार तक अपनी बात पहुंचाने का निर्णय लिया है. अब किसान एकता मंच और राष्ट्रीय किसान महासंघ के 172 संगठन मिलकर गांव बंद करेंगे.

 

वहीं उत्तर भारत और मध्य भारत के राज्यों को भी इस अभियान में शामिल करने का लक्ष्य रखा गया है. चंडीगढ़ में आज किसान नेताओं ने इस मुद्दे पर अपनी रणनीति तय की और भारतीय किसान यूनियन की हरियाणा इकाई के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि इस दौरान किसान न शहर जाएंगे और न ही दूध अनाज फल और सब्जी शहरों तक ले कर जाएंगे. किसानों का एजेंडा साफ है वह संपूर्ण कर्ज मुक्ति चाहते हैं और साथ ही फसलों पर 50 फ़ीसदी लाभकारी मूल्य चाहते हैं