मुजफ्फरनगर दंगों में योगी सरकार लेगी131 केस वापस, 13 हत्या के मामले भी शामिल

खबरें अभी तक। उत्तर प्रदेश में योगी सरकार मुजफ्फरनगर दंगों को लेकर दर्ज और मामलों को वापस ले सकती है।मुजफ्फरनगर और इसके आस-पास के जिलों में दंगों में कम-से-कम 60 लोगों की मौत हो गई थी और सैकड़ों बेघर हो गये थे। दंगों को लेकर दर्ज सैकड़ों केस को वापस लेने की प्रक्रिया योगी सरकार ने शुरू कर दी है।

उत्तर प्रदेश में योगी सरकार मुजफ्फरनगर दंगों को लेकर दर्ज और मामलों को वापस ले सकती है। राज्य सरकार ने दंगों के समय आयोजित किये गये दो महापंचायतों को लेकर दर्ज दो केस को वापस लेने की प्रक्रिया शुरू भी कर दी है। जिसमें पूर्व केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान, साध्वी प्राची, बीजेपी सांसद कुंवर भारतेंद्र सिंह, बीजेपी विधायक उमेश मलिक, संगीत सोम और सुरेश राणा आरोपी हैं। इन नेताओं पर सांप्रदायिक नफरत भरे बयान देने का आरोप हैं।

उत्तर प्रदेश कानून विभाग ने पिछले दिनों मुजफ्फरनगर के जिलाधिकारी को एक लेटर लिखकर इन मामलों से पर 13 बिंदुओं में जवाब मांगा था। कानून विभाग के पत्र में जिलाधिकारी से जनहित को ध्यान में रखते हुए आरोपियों पर लगे आरोप को वापस लेने के बारे में पूछा गया। हालांकि अभी भी रिपोर्ट का इंतजार है। मुजफ्फरनगर के डीएम राजीव शर्मा ने इस संबंध में कहा, “यह एक लम्बी प्रक्रिया है और इसमें समय लगता है”।

जारी रिपोर्ट के मुताबिक, महापंचायत और उसके बाद हुई हत्या को लेकर सिखेरा पुलिस थाने में दो केस दर्ज हैं। 31 अगस्त 2013 और सात सितंबर 2013 को महापंचायत का आयोजन किया गया था। जहां सचिन और गौरव नाम के दो युवकों की मौत की चर्चा हुई। इन दोनों युवकों को कथित तौर पर 27 अगस्त को कवाल गांव में भीड़ ने हत्या कर दी थी। सचिन और गौरव पर आरोप था कि उसने शाहनवाज नाम के एक युवक की हत्या कर दी थी।

131 केस हो सकते हैं वापस

तीनों की मौत ने सांप्रदायिक रंग ले लिया और इसके बाद सात सितंबर से बवाल शुरू हुआ और महीनों चला। मुजफ्फरनगर और इसके आस-पास के जिलों में दंगों में कम-से-कम 60 लोगों की मौत हो गई थी और सैकड़ों बेघर हो गये थे। दंगों को लेकर दर्ज अन्य मामलों को भी वापस लेने की प्रक्रिया योगी सरकार ने शुरू कर दी है। रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार 131 केस वापस लेगी। जिसमें 13 हत्या के मामले हैं।