प्रशांत महासागर में गिरा चीन का तियांगोंग-1 स्‍पेस लैब, पृथ्‍वी को नुकसान नहीं

खबरें अभी तक। चीन का प्रोटोटाइम अंतरिक्ष केंद्र तियांगोंग-1 प्रशांत महासागर में गिरा। देश के अंतरिक्ष एजेंसी के अनुसार, सोमवार को 00:15 GMT (0545 hrs IST) पर यह स्‍पेसक्राफ्ट प्रशांत के ऊपर दोबारा वायुमंडल में प्रवेश करते वक्‍त अधिकांश रूप से जल गया।

2011 में हुआ था लांच-

अमेरिका के मिलिट्री ने भी तियांगोंग के दोबारा प्रवेश की पुष्‍टि की। चीन के महत्‍वपूर्ण अंतरिक्ष कार्यक्रम के तहत ऑर्बिट प्रयोगों के लिए 10.4-मीटर लंबे तियांगोंग -1 2011 में लांच किया गया था जिसका लक्ष्‍य 2033 तक कक्ष में स्‍थायी स्‍टेशन स्‍थापित करने का था। इस लैब ने जून 2013 में अपना मिशन पूरा कर लिया था।

…इसलिए गिर गया तियांगोंग-

उल्‍लेखनीय है कि तियांगोंग-1 को चीन ने सिर्फ दो साल के समयसीमा के साथ बनाया था। चीन की योजना थी कि वे स्पेस लैब को पृथ्वी की कक्षा से बाहर कर देंगे और यह स्‍वत: ही अंतरिक्ष में खत्म हो जाएगा। हालांकि, मई 2011 से मार्च 2016 तक करीब 5 साल काम करने के बाद यह अनियंत्रित हो गया और पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल ने इसे पृथ्वी के अंदर खींच लिया।

मलबे का हिस्‍सा जमीन पर गिरने का संदेह!-

चाइना मैन्ड स्पेस इंजीनयरिंग ऑफिस (CMSEO) द्वारा हाल ही में प्रकाशित लेख में कहा गया था कि ‘तियांगोंग-1’ वायुमंडल में जल जाएगा और इससे जमीन पर किसी तरह के नुकसान होने की संभावना बेहद कम है। CMSEO ने यह पहले ही कह दिया था कि आठ टन वजन वाले इस स्पेस लैब से विमानन गतिविधि पर कोई प्रभाव पड़ने या जमीन पर कोई नुकसान पहुंचने की संभावना नहीं है। हालांकि लैब के मलबे का बहुत छोटा सा हिस्सा जमीन पर गिरेगा।

इससे पहले 1979 में नासा का पहला स्‍पेस स्‍टेशन स्‍काईलैब वायुमंडल में दोबारा प्रवेश करने के दौरान पृथ्‍वी पर गिरा था। इसके बाद 135 टन का रूसी मीर अंतरिक्ष लैब पृथ्‍वी पर 2001 में गिरा था।