यहां सिर्फ विदा नहीं होती बेटी, बल्कि अपनी यादों से आबाद कर जाती है मायका

शादी के बाद बेटियां मायके से विदा हो जाती हैं। लेकिन, दोबारा अपने मायके में ही पौधे के रूप में उनका जन्म होता है। मायके के लोग उस पौधे की विशेष रूप से देखभाल करते हैं, करें भी क्‍यों नहीं… यह पौधा ससुराल जाने से पहले उनकी बेटी जो लगाती है।

शादी के बाद बेटियों के लिए ससुराल ही उनका घर हो जाता है। बहू बन ससुराल में फलती-फूलती हैं। परिवार को संरक्षण देती हैं। वैसे ही पौधे के रूप में मायके में भी ये बेटियां पलती-बढ़ती हैं। विदाई के बाद पौधे के रूप में मायके में दोबारा बसने की बेटियों की यह कहानी राजकीय बीएड कॉलेज ने लिखी है।

नारी सशक्तीकरण और पर्यावरण संरक्षण एक साथ-

नारी सशक्तीकरण और पर्यावरण संरक्षण की यह अनोखी मुहिम यहां के शिक्षक व पर्यावरणविद् डॉ. मनोज कुमार सिंह के द्वारा शुरू की गई है। कॉलेज के द्वारा यहां से पढ़कर निकले विद्यार्थियों को शादी के दौरान पौधा उपहार रुवरूप दिया जाता है। करीब एक साल पहले इस मुहिम की शुरुआत की गई थी। कोडरमा की संगीता कुमारी को शादी के दौरान आम का पौधा भेजा गया। अब यह पौधा मायके में संगीता की याद के तौर पर पल-बढ़ रहा है।