मंत्रियों के लिए नए वाहन की खरीद करने जा रही है सरकार

खबरें अभी तक।  सरकार मंत्रियों के लिए नए वाहन की खरीद करने जा रही है। इसके तहत 3 मंत्रियों के वाहन को बदलने पर मोहर भी लग चुकी है। तर्क दिया जा रहा है कि संबंधित मंत्रियों को उपलब्ध करवाई गई गाड़ियां 3 लाख का फलीट पूरा कर चुकी हैं, ऐसे में तय है कि 3 कैबिनेट सदस्यों के लिए नए वाहनों की खरीद किए जाने केबाद अन्यों को भी चरणबद्ध तरीके से नए वाहन दिए जाएंगे। वर्तमान में मंत्रियों को पूर्व सरकार के समय में खरीदी गई कैमरी गाड़ियां उपलब्ध करवाई गई हैं। सूत्रों के अनुसार कुछ मंत्री कैमरी के स्थान पर दूसरे मॉडल के वाहन चाह रहे हैं, ऐसे में अभी नए वाहनों की खरीद के लिए मॉडल का पेंच फंसा हुआ है।

पहाड़ी क्षेत्रों के लिए उपयुक्त नहीं कैमरी गाड़ियां
सूत्रों के अनुसार कुछ मंत्रियों का तर्क है कि कैमरी गाड़ियां पहाड़ी क्षेत्रों के लिए विभिन्न कारणों से उपयुक्त नहीं हैं। पूर्व सरकार में भी कुछ मंत्रियों ने कैमरी के स्थान पर दूसरे वाहन उपलब्ध करवाने की बात कही थी, ऐसे में मंत्रियों के लिए एस.यू.वी. टॉप मॉडल वाहनों की खरीद की जा सकती है। विशेष है कि प्रदेश की पूर्व कांग्रेस सरकार ने भी सत्तारूढ़ होने के बाद मंत्रियों के लिए कैमरी वाहनों की खरीद की थी। उस समय विपक्ष में बैठी भाजपा ने पूर्व सरकार के इस निर्णय का खुलकर विरोध किया था लेकिन अब राज्य की जयराम सरकार पूर्व वीरभद्र सरकार के नक्शेकदम पर चलती नजर आ रही है।

हिमाचल पर साढ़े 48 हजार करोड़ का कर्ज
भले ही एक तरफ जयराम सरकार प्रदेश की आर्थिक तंगहाली को लेकर पूर्व सरकार को कोस रही हो लेकिन दूसरी तरफ मंत्रियों के लिए नए वाहनों की खरीद किए जाने का खाका तैयार कर लिया गया है। पहाड़ी राज्य हिमाचल पर ऋणों का बोझ साढ़े 48 हजार करोड़ तक पहुंच चुका है। सरकार अपने पौने 3 माह की अवधि में 2,300 करोड़ रुपए का कर्ज ले चुकी है, ऐसे में स्पष्ट है कि सरकार अब तक वित्तीय संकट की स्थिति से उबर नहीं पाई है।

पूर्व सरकार के समय था 46,385 करोड़ का कर्ज
सरकार पर अब तक करीब 48,685 करोड़ का कर्ज चढ़ चुका है। इससे पहले पूर्व कांग्रेस सरकार के समय प्रदेश पर 46,385 करोड़ का कर्ज था। सरकार के पास बजट में 100 रुपए में से 39.56 रुपए ही विकास कार्य के लिए बचे हैं और इसके लिए केंद्र प्रायोजित योजनाओं के साथ ऋणों पर निर्भर रहना पड़ेगा।

25 से 30 लाख है एक वाहन की कीमत
मंत्रियों के लिए यदि एस.यू.वी. टॉप मॉडल की गाडिय़ां खरीदी जाती हंै तो प्रत्येक वाहन की कीमत 25 से 30 लाख के बीच बैठ सकती है, ऐसे में यदि 11 या 12 से अधिक गाडिय़ां खरीदी जाती हैं तो सरकार को इस पर साढ़े 3 करोड़ से अधिक की राशि वहन करनी होगी।

 …तो किन्हें मिलेंगी कैमरी गाड़ियां
यदि सरकार मंत्रियों के वाहनों को बदलती है तो उनको उपलब्ध करवाई गई कैमरी गाड़ियां किन्हें दी जाएंगी, यह भी चर्चा का विषय है। विशेष है कि वर्तमान सरकार ने सी.पी.एस. नहीं बनाए हैं, ऐसे में बनाए गए या बनाए जाने वाले चेयरमैनों को भी यह वाहन दिए जा सकते हैं। विशेष है कि प्रधान सचिवों के साथ कुछ अन्य अधिकारियों के लिए बीते वर्ष ही करोला एलिटिस वाहनों की खरीद की गई थी।