पुत्र मोह में टूट चुका है बिहार में सियासी गठबंधन, एक बार फिर छिड़ा है संग्राम

केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे के पुत्र अर्जित शाश्वत के एक्शन और बयान के बाद बिहार की सियासत में घमासान है। विपक्ष हमलावर है और राजग के छोटे-बड़े नेता शाश्वत के बचाव और विरोध में खड़े हो गए हैं। शाश्वत के पिता चौबे भी चुप नहीं हैं। पुत्र मोह में वह भी मुखर हैं। यह जानते हुए भी कि धृतराष्ट्र के पक्षपात ने ही महाभारत की पटकथा लिखी थी। पिछले साल 27 जुलाई को इसी तरह के पुत्र मोह में महागठबंधन की दीवार दरक गई थी। फिर भी पुत्र के पक्ष को मजबूत करने की कोशिश जारी है।

तकरीबन आठ महीने पहले नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली राजद-जदयू और कांग्र्रेस का महागठबंधन इसलिए बिखर गया था, क्योंकि लालू प्रसाद के पुत्र तेजस्वी यादव और तेजप्रताप सीबीआइ छापे के बाद नीतीश कुमार के कहने पर भी इस्तीफा नहीं दे रहे थे। बचने के रास्ते तलाश रहे थे। मौके का इंतजार कर रहे थे। परिणाम हुआ कि देशभर में किरकिरी होने लगी। राज्य सरकार की मंशा, राजनीतिक शुचिता और क्षमता पर सवाल उठने लगे। पानी सिर के ऊपर से गुजरने लगा तो जदयू और राजद में ठन गई। तीन दलों का कॉमन मिनिमम प्रोग्र्राम हाशिये पर खड़ा हो गया और महागठबंधन बिखर गया।

अर्जित के मुद्दे पर भाजपा-जदयू के बीच अभी जो कुछ भी चल रहा है, वह गठबंधन की सेहत के लिए ठीक नहीं है। बिहार के विकास और सरकार के स्थायित्व पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। अर्जित पर भागलपुर में हंगामा करके सांप्रदायिक माहौल बिगाडऩे का आरोप है। गिरफ्तारी वारंट भी है, लेकिन अर्जित न तो गिरफ्तार हो रहे, न समर्पण कर रहे हैं।

विपक्ष को मौका मिल गया है कि वह सरकार की निष्पक्षता की न केवल समीक्षा करे, बल्कि उसे कठघरे में भी खड़ा करे। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव सवाल उठा रहे हैं। राज्य सरकार से जवाब भी मांग रहे हैं कि आखिर क्या मजबूरी है, जो अर्जित पुलिस के रडार से बाहर हैं। कई जदयू नेता भी आड़े-तिरछे से संकेत दे रहे हैं।

जदयू के राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी ने तो दोटूक कह दिया कि अगर कानून का मजाक उड़ेगा तो जदयू, भाजपा, रालोसपा और लोजपा की एकता पर खरोंच आएगी और इसका असर गठबंधन पर भी पड़ सकता है। जदयू नेता श्याम रजक ने अर्जित की गिरफ्तारी की मांग की है। उन्होंने कहा है कि अपराधी किसी का पुत्र या पिता नहीं होता।