पत्रकारों, एक्‍टिविस्‍ट के लिए खतरनाक देश पाकिस्तान, यहां सरकार के खिलाफ नहीं बोल सकता कोई

एक्‍टिविस्‍ट व रिपोर्टरों के लिए दुनिया में पाकिस्‍तान सबसे खतरनाक देशों में से एक है। देश की ताकतवर और खुफिया सुरक्षा संस्‍थान में आइएसआइ और मिलिट्री शामिल है। साउथ एशिया व मिड्ल इस्‍ट को कवर करने वाले स्‍वतंत्र पत्रकार किरण नाजिश ने दावा किया कि आइएसआई और मिलिट्री की गतिविधियों पर यदि कोई सवाल उठाने की कोशिश करते ही उन्‍हें चुप करने के लिए अगवा कर लिया जाता है।

पाकिस्‍तान के मानवाधिकार आयोग (एचआरसीपी) के अनुसार, देश में 2001 से करीब 10,000 लोग लापता हो चुके हैं, केवल 2016 में 728 लोग लापता हुए।

यह सामान्‍य पाकिस्‍तानियों को सोचने पर मजबूर करता है कि सरकार के बारे में वे स्‍वतंत्र तरीके से नहीं बोल सकते। इसका प्रभाव पाकिस्‍तानी सांसदों पर भी पड़ता है जिन्‍हें कानून बनाने की क्षमता जानकारियों की कमी से बाधित होती है। नाजिश ने यह बात वेबसाइट www.vox.com के लिए लिखे गए अपने आलेख में कहा है। नाजिश के अनुसार, ये गुमशुदगी के मामले दुनिया के बाकी देशों के लिए वास्‍तविक परिणाम है। नाजिश ने 2018 में किए गए ट्रंप के एक ट्वीट को याद किया जब उन्‍होंने सीधे तौर पर आतंक पर दुनिया की लड़ाई में वाशिंगटन को सहयोग देने में असफल पाकिस्‍तान का उल्‍लेख किया था।

ट्रंप ने ट्वीट किया था- अमेरिका ने मूर्खतापूर्ण तरीके से पिछले 15 सालों में पाकिस्‍तान को 33 बिलियन डॉलर से अधिक की मदद दी और उन्‍होंने झूठ और धोखे के अलावा हमें कुछ नहीं दिया, वे आतंकियों को सुरक्षित पनाहगाह उपल्‍बध कराते हैं और हम उन्‍हें अफगानिस्‍तान में ढूंढते हैं। नाजिश के अनुसार, वजीरिस्‍तान समेत देश के कई हिस्‍सों में आतंकी ग्रुप व आतंकियों को सुरक्षित पनाहगाह मुहैया कराया जा रहा है। पाकिस्‍तानी मिलिट्री आतंकियों के साथ मिलकर काम करती है।

2017 की शुरुआत में तीन पाकिस्‍तानी ब्‍लॉगर लापता हो गए। रिहाई के बाद उन्‍होंने बताया कि पाकिस्‍तानी सिक्‍योरिटी के हाथों उन्‍हें प्रताड़ित किया गया। एचआरसीपी के रिसर्च ऑफिसर खुशहाल खान ने नाजिश को बताया, ‘बलूचिस्‍तान या पाकिस्‍तान में आतंक के बारे में यदि कोई रिपोर्ट करता है तो उसे पता है कि मिलिट्री एजेंसी उनके पीछे पड़ जाएगी।‘

पाकिस्‍तान मिलिट्री ने कई बार दावा किया कि उन्‍होंने इलाके में आतंकवाद का खात्‍मा कर दिया और आतंकियों को निकाल दिया लेकिन इलाके में पत्रकारों व एनजीओ को जाने नहीं देते। नाजिश ने कहा, ‘जब मैं 2015 में वजीरिस्‍तान से लापता नागरिकों के मामले में छानबीन कर रहा था तब मेरे स्रोतों को धमकाया गया और कहा गया कि उन्‍हें पत्रकारों से बात नहीं करना चाहिए।