केजरीवाल सरकार ने अपने वादे से मुंह मोड़ा, बिजली कंपनियों पर मेहरबानियां

बिजली की नई वार्षिक दरों को लेकर दिल्ली विद्युत विनियामक आयोग (डीईआरसी) और दिल्ली सरकार भले ही अपनी पीठ थपथपा रही हों, लेकिन इससे उपभोक्ताओं के हाथ निराशा ही लगी है, क्योंकि इसमें उपभोक्ताओं से ज्यादा बिजली कंपनियों और दिल्ली सरकार का ध्यान रखा गया है। बिजली की कीमत में कमी कर जहां सरकार ने अपने ऊपर से सब्सिडी का बोझ कम कर लिया है। वहीं, पेंशन फंड के लिए उपभोक्ताओं से वसूली जारी रखकर और स्थायी शुल्क में भारी भरकम बढ़ोतरी कर बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) के हित का ध्यान रखा गया है। इसके साथ ही उनके घाटे की भरपाई के लिए भी उपभोक्ताओं से उनके बिल पर आठ फीसद की दर से वसूली जारी है।

वादा तो पानी माफ, बिजली हाफ का था…
पानी माफ और बिजली हाफ के वादे के साथ दिल्लीवासियों का समर्थन हासिल करने वाली आप सरकार अपने वादों पर खरा नहीं उतर रही है। पिछले वर्ष से ही दिल्ली विद्युत बोर्ड के सेवानिवृत्त कर्मचारियों के पेंशन का भार डिस्कॉम के बजाय उपभोक्ताओं से उपकर के रूप में वसूला जा रहा है। इसे भी अब 3.7 फीसद से बढ़ाकर 3.8 फीसद कर दिया गया।

इसके साथ ही नया मीटर, लोड बढ़ाने के नाम पर भी लोगों से शुल्क वसूला जा रहा है। लेकिन, सबसे बड़ा झटका वर्ष 2018-19 के लिए घोषित टैरिफ में स्थायी शुल्क में बढ़ोतरी करके दिया गया है। इसमें लगभग छह गुना तक बढ़ोतरी की गई है। सबसे ज्यादा नुकसान कम बिजली खपत करने वाले उपभोक्ताओं को होगा।