कड़कनाथ पर चल रहा विवाद खत्म, मध्य प्रदेश को मिला अधिकार; अब ऑनलाइन होगी बिक्री

लंबी जद्दोजहद के बाद भौगोलिक संकेतक पंजीयन कार्यालय चेन्नई ने तय कर दिया कि कड़कनाथ मुर्गा मध्य प्रदेश का है। छत्तीसगढ़ ने भी इसको लेकर दावा किया था पर दस्तावेजी और ऐतिहासिक प्रमाणों के आधार पर कार्यालय ने मध्य प्रदेश के हक में जीआई टैग देने का फैसला सुना दिया है। अलंबी जद्दोजहद के बाद भौगोलिक संकेतक पंजीयन कार्यालय चेन्नई ने तय कर दिया कि कड़कनाथ मुर्गा मध्य प्रदेश का है। छत्तीसगढ़ ने भी इसको लेकर दावा किया नौपचारिक तौर पर प्रदेश सरकार को भी इसकी सूचना दे गई है और एक-दो दिन में आधिकारिक रूप से घोषणा भी हो जाएगी। मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने इसकी पुष्टि की है।लंबी जद्दोजहद के बाद भौगोलिक संकेतक पंजीयन कार्यालय चेन्नई ने तय कर दिया कि कड़कनाथ मुर्गा मध्य प्रदेश का है। छत्तीसगढ़ ने भी इसको लेकर दावा किया था पर दस्तावेजी और ऐतिहासिक प्रमाणों के आधार पर कार्यालय ने मध्य प्रदेश के हक में जीआई टैग देने का फैसला सुना दिया है। अनौपचारिक तौर पर प्रदेश सरकार को भी इसकी सूचना दे गई है और एक-दो दिन में आधिकारिक रूप से घोषणा भी हो जाएगी। मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने इसकी पुष्टि की है।

उधर, सहकारिता विभाग ने मध्यप्रदेश कड़कनाथ नाम से एप लॉन्च कर दिया है। झाबुआ के ग्रामीण विकास ट्रस्ट ने आदिवासी परिवारों की ओर से वर्ष 2012 में कड़कनाथ मुर्गे की प्रजाति के लिए जीआई टैग का आवेदन किया था। पशुपालन विभाग भी इसमें शामिल हो गया और भौगोलिक संकेतक पंजीयन कार्यालय चेन्नई से सीधे संपर्क में रहा।

 विधानसभा में भी सरकार ने जवाब दिया कि अधिसूचना जारी होने की कार्रवाई अंतिम चरण में है। विभागीय अधिकारियों ने बताया कि कड़कनाथ में कॉलेस्ट्राल की मात्रा दूसरे मुर्गों की तुलना में प्रति किलोग्राम कम होती है। हड्डी, खून और मांस काला होता है। प्रोटीन का प्रतिशत भी मांस में ज्यादा पाया जाता है। चर्बी भी बहुत कम होती है।