पर्यावरण क्षतिपूर्ति उपकर के संग्रहण में धांधली की आशंका

दिल्ली से गुजर रहे ट्रकों से लिए जाने वाले पर्यावरण क्षतिपूर्ति उपकर के संग्रहण में पर्यावरण- संरक्षण नियंत्रण प्राधिकरण (ईपीसीए) ने धांधली की आशंका जताई है। ईपीसीए का कहना है कि जितना उपकर आना चाहिए, उतना आ नहीं आ रहा। ऐसे में आरएफआइडी (रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन) तकनीक के समय पर शुरू होने में भी संदेह है।

सुप्रीम कोर्ट में भेजी गई रिपोर्ट में ईपीसीए ने कहा है कि दिल्ली होकर गुजरने वाले ट्रकों से प्रति सप्ताह 15 करोड़ रुपये के आसपास पर्यावरण क्षतिपूर्ति उपकर आना चाहिए, लेकिन रिकार्ड में यह महज आठ करोड़ के आसपास आ रहा है। इस कारण अभी तक एकत्रित उपकर में करीब आठ सौ करोड़ रुपये की कमी सामने आ रही है। इस सूरत में ट्रकों की समस्या पर नियंत्रण पाने के लिए जो आरएफआइडी तकनीक शुरू करने की योजना पर काम चल रहा है, उसे क्रियान्वित करने में काफी समय लग जाएगा।

बता दें कि ईपीसीए सुप्रीम कोर्ट की तरफ से गठित संस्था है। ईपीसीए ने अपनी रिपोर्ट में सुप्रीम कोर्ट को यह भी कहा कि पर्यावरण क्षतिपूर्ति उपकर का संग्रहण बंद कर देना चाहिए। वजह, इसके संग्रहण में धांधली होने से बेहतर है कि इसे बंद ही कर दिया जाए। वैसे भी जिस मंशा के साथ यह उपकर लगाया गया था, वह पूरी नहीं हो रही है। ईपीसीए ने यह भी कहा कि तीन से चार माह में ईस्टर्न और वेस्टर्न पेरीफेरल रोड शुरू हो जाएंगी। उस सूरत में ज्यादातर ट्रक दिल्ली में आए बिना ही, बाहर से बाहर निकल जाएंगे और दिल्ली की हवा प्रदूषित होने से बच जाएगी।