दर्दनाक हादसा : तेज रफ्तार ट्रक ने व्यक्ति को कुचला व्यक्ति को

खबरें अभी तक।  15 मिनट पहले घर से निकले मोहन विहार (लधेवाली) निवासी शीशे के कारोबारी जितेन्द्र कुमार (40) की मौत संबंधी उसके छोटे भाई ङ्क्षरकू के मोबाइल पर सूचना आ गई। पी.ए.पी. गेट नम्बर-4 के सामने बुधवार को सुबह 9.30 बजे हुए इस दर्दनाक हादसे की सूचना मिलते ही मृतक का भाई ङ्क्षरकू, पत्नी पूनम, परिवार के अन्य लोग तथा मोहल्ला निवासी मौके पर पहुंच गए। घटनास्थल पर मौजूद थाना कैंट के एडीशनल एस.एच.ओ. संजीव कुमार व ए.एस.आई. किशन चंद ने मृतक जितेन्द्र कुमार पुत्र किशोरी लाल का शव कब्जे में लेकर जांच शुरू कर दी।

पुलिस के मुताबिक जितेन्द्र कुमार रोज की तरह अपने घर से बस्ती अड्डा जालंधर स्थित अपनी शीशों की दुकान के लिए सुबह 9 बजे के बाद अपने डिस्कवर मोटरसाइकिल पर निकला था। वह चौगिट्टी फ्लाईओवर की तरफ से वह शहर जा रहा था कि पी.ए.पी. के गेट नम्बर-4 के सामने पीछे से आ रहे सीमैंट से लदा तेज रफ्तार ट्रक उसे टक्कर मारते हुए उसकी टांगों के ऊपर से निकल गया। पुलिस कर्मी उसे वाले अस्पताल ले जाने ही वाले थे कि उसने वहीं दम तोड़ दिया। एडीशनल एस.एच.ओ. संजीव कुमार ने बताया कि पुलिस ने पोस्टमार्टम के बाद मृतक का लधेवाली श्मशानघाट पर अंतिम संस्कार भी कर दिया गया।

पति का शव देखकर पूनम हुई बेसुध, बच्चे पुकार रहे थे कहां गए पापा
मोहन विहार निवासी जितेन्द्र कुमार की अचानक दर्दनाक हादसे में हुई मौत से 2 मासूम बच्चों के सिर से बाप का साया उठ गया है। 13 साल की दीक्षा व 6 साल का ऋषि अपनी मम्मी पूनम से सवाल कर रहे थे कि पापा कहां चले गए हैं। कुछ मिनट पहले ही उसके साथ ब्रेकफास्ट करके काम के लिए निकले जितेन्द्र की मौत पर विश्वास नहीं हो रहा था।

आरोपी ट्रक चालक काबू, केस दर्ज 
आरोपी ट्रक चालक दिलबाग सिंह पुत्र जोगिन्द्र ङ्क्षसह निवासी लोपो (अमृतसर) को थाना कैंट की पुलिस ने काबू कर लिया है। वह फगवाड़ा की तरफ ट्रक में सीमैंट लेकर जा रहा था। उसके खिलाफ धारा 304-ए, 279, 427 के तहत थाना कैंट में केस दर्ज कर लिया गया है। दिलबाग सिंह का ट्रक भी पुलिस ने अपने कब्जे में ले लिया है। यह भी पता चला है कि ट्रक के मालिक भी हादसे की सूचना मिलने के बाद थाना कैंट पहुंच गए थे। आरोपी दिलबाग सिंह से पुलिस हादसे को लेकर पूछताछ कर रही है।

जितेन्द्र के आधा घंटा बाद रिंकू चलता था घर से
मृतक जितेन्द्र का छोटा भाई रिंकू बताता है कि वह दोनों भाई बस्ती अड्डे में इकट्ठे ही शीशे की दुकान करते थे। वह जितेन्द्र से आधा घंटा बाद ही घर से काम के लिए निकलता था। जितेन्द्र ही हर रोज दुकान खोलता था। उसने बताया कि मोहन विहार में करीब 5 साल पहले बनाए नए घर में जितेन्द्र घर के नीचे के हिस्से में रहता था और वह ऊपर वालेे हिस्से में। दोनों भाइयों में खासा प्यार था। माता-पिता की मौत हो चुकी है।

मोहन विहार में पसरा सन्नाटा
जितेन्द्र कुमार की मौत की सूचना के बाद मोहन विहार क्षेत्र में सन्नाटा-सा पसर गया और उनके घर में भी लोगों की भीड़ जमा हो गई। मृतक की पत्नी पूनम को पहुंचे हुए रिश्तेदार बड़ी मुश्किल से संभाल रहे थे। हर किसी की जुबान पर एक ही बात थी कि जितेन्द्र बहुत ही शरीफ युवक था, जिसे कभी भी किसी ने ऊंची आवाज में बात करते नहीं देखा था। उसका मौत पूरे क्षेत्र के लिए एक बड़ा सदमा है।

हादसों का चौक है पी.ए.पी. चौक
पी.ए.पी. चौक हादसों के चौक के नाम से भी काफी मशहूर है। यहां अक्सर कोई न कोई हादसा हुआ ही रहता है, जिसके चलते कई लोगों की ङ्क्षजदगियां मौत के मुंह मे जा चुकी हैं, जिससे कई परिवार बर्बाद हो गए हैं। हर समय पी.ए.पी. चौक में ट्रैफिक पुलिस का नाका और पी.ए.पी. की अलग से गार्द लगी रहने के बावजूद भी हादसे नहीं रुक रहे हैं। ज्यादा होते हादसों के लिए तेज रफ्तार टिप्पर व ट्रक ही जिम्मेदार हैं।