आगामी निकाय चुनाव करवाना बन सकती है चुनौती

खबरें अभी तक। उत्तराखंड सरकार के लिए आगामी निकाय चुनाव करवाना किसी चुनौती से कम नहीं है. हाईकोर्ट में निकायों के सीमा विस्तार को रद्द करने से अब निकाय चुनाव की तारीखों पर भी असर हो सकता हैं. इन चुनावों को लेकर दोनों पार्टियों की ओर से राजनीति तेज हो गई. कांग्रेस सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार ने लोगों के विरोध के बाद भी निकायों का विस्तारीकरण किया है. सरकार का यह निर्णय जनता के साथ धोखा है. प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सूर्यकांत धमस्माना ने कहा कि सरकार ने बिना जनप्रतिनिधियों और जनता को विश्ववास में लिए निकायों का विस्तारीकरण कर दिया. इस वजह से सरकार को हाईकोर्ट की फटकार भी खानी पड़ी है.

दरअसल, उत्तराखंड में अप्रैल 2018 में निकाय चुनाव को लेकर अधिसूचना जारी होनी थी. जिससे प्रदेश में मई माह में निकाय चुनाव भी होने थे और पूर्व में सरकार ने प्रदेश की 3 निगमों, 22 नगर पालिका का विस्तार कर किया. विस्तारीकरण के बादके बाद बढ़े हुए क्षेत्र में सभी निकायों ने मतदान सूची से लेकर वार्डों की संख्या का ड्राफ तैयार कर शासन को भेज दिया था. लेकिन जैसे ही चुनावों की तिथि घोषित होती निकायों में शामिल हुए गांव के लोग इसके विरोध में  उतर आए थे.

इस मामले को लेकर कई निकायों के प्रतिनिधियों ने हाईकोर्ट याचिका भी लगाई थी .जिस पर हाईकोर्ट ने सरकार को आदेशित किया था कि एक बार फिर ग्रामीणों की जन सुनवाई की जाए और आपत्तियों का त्वरित गति से निस्तारण किया जाए.