जंग के बदल गए हैं आयाम अब सेनाओं के बीच से निकल व्यापारिक मोर्चे पर पहुंची

जंग अब सिर्फ देश की सीमाओं पर ही नहीं होती है। वैश्वीकरण की नीतियों के लागू होने के बाद से अब यह व्यापारिक मोर्चे पर भी लड़ी जा रही है। राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे अब सिर्फ सुरक्षा विभाग से जुड़े मुद्दे नहीं रहे, बल्कि वाणिज्य, व्यापार, पूंजी निवेश जैसे मुद्दों से भी जुड़ गए हैं। इस तरह से जंग के मैदान अब बदल गए हैं। यदि कोई देश इन सब नई वास्तविकताओं पर हावी होने में नाकाम रहता है तो उसके अपने देश को खुशहाल और समृद्ध बनाने के सपने, सपने ही रह जाएंगे। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की व्यापार शुल्क के मामले में चेतावनी को ‘टेड वार’ के रूप में ही देखा जा रहा है। उन्होंने यह कहा है कि भारत और चीन अमेरिकी उत्पादों के आयात पर जितना टैक्स लगाएंगे, उतना ही टैक्स अमेरिका इनके उत्पादों पर भी लगाएगा। अमेरिका के निशाने पर चीन, भारत के अलावा थाईलैंड, अर्जेटीना और ब्राजील भी हैं। ट्रंप की नीतियों से चीन के साथ-साथ भारत की अर्थव्यवस्था पर भी असर हो सकता है।

दुनिया के बाजार में तेजी से पैर पसार रहा चीन-

उधर चीन भी दुनिया के बाजार में अपने पैर तेजी से पसार रहा है। चीन और भारत के बीच अघोषित ट्रेड वार जैसी स्थिति काफी पहले से ही चली आ रही है। अपने देश के हितों को सबसे ऊपर रखने की बात करने वाले देशों में सिर्फ अमेरिका ही नहीं है। ऐसा नेतृत्व कई देशों में उभर रहा है। जहां वह सत्ता में नहीं है वहां भी सरकार पर दबाव की स्थिति में आ गया है। इससे वैश्विक स्तर पर टेड वार की आशंका सच होने लगी है। ऐसे में भारत को इस टेड वार से निपटने के लिए विशेष रणनीति बनानी होगी। इसमें कोई संदेह नहीं है कि वैश्वीकरण की प्रक्रिया वैश्विक अर्थव्यवस्था में ही नहीं, बल्कि अलग-अलग देशों की अर्थव्यवस्थाओं में भी तेजी लाने वाली साबित हुई है, लेकिन इसके चलते निचले स्तर पर तमाम देशों में पुरानी तकनीक वाली छोटी-छोटी औद्योगिक व्यापारिक इकाइयां घाटे में आ गईं या बंद हो गईं, जिसका खामियाजा स्थानीय आबादी के सबसे कमजोर हिस्से को अपने रोजगार की बर्बादी के रूप में भोगना पड़ा है।