उन्होंने कहा कि आज के दौर में खेतीबाड़ी में कीटनाशकों का उपयोग बड़े स्तर पर किया जा रहा है जिससे लोगों का स्वास्थ्य खराब हो रहा है। बिना सही जानकारी के कीटनाशकों के उपयोग को उचित नहीं कहा जा सकता। पुराने दौर में किसानों को कीटनाशकों की आवश्यकता ही नहीं होती थी। लेकिन अब किसानों की की कीटनाशकों पर निर्भरता ज्यादा हो गई है जिसे कम करने की जरूरत है ताकि भूमि की उर्वरा शक्ति कायम रखी जा सके।
प्रधान सचिव ने फसलों के विविधिकरण पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि केवल एक-दो फसलों की पैदावार में लगे रहना लाभप्रद नहीं होगा। इसलिए किसानों को परंपरागत धान-गेहूं की फसलों से ऊपर उठकर बागवानी की ओर बढऩा चाहिए।