निकाह हलाला पर सुप्रीम कोर्ट का केंद्र को नोटिस, आइए जानें क्या है पूरा मामला

पिछले साल अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए एक साथ तीन तलाक को प्रतिबंधित कर दिया था। उस फैसले को मुस्लिम महिलाओं के हक में एक बड़ा फैसला माना गया था। तीन तलाक पर सुनवाई समाप्त करते हुए पांच न्यायाधीशों वाली पीठ ने निकाह हलाला और बहुविवाह जैसे मुद्दों को खुला रखा था। अब सुप्रीम कोर्ट ने इन मामलों में सुनवाई करते हुए कानून मंत्रालय को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। कोर्ट ने कहा कि बहुपत्नी प्रथा और निकाह हलाला मामले में दायर याचिकाओं पर संविधान पीठ सुनवाई करेगी।

सुप्रीम कोर्ट में चार याचिकाएं…
गौरतलब है कि मुस्लिमों में निकाह हलाला और बहुविवाह को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चार याचिकाएं दाखिल की गई थीं। इन पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रही है। इन्हीं मामलों में शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार के कानून मंत्रालय से जवाब मांगा है। एक साथ तीन तलाक को सुप्रीम कोर्ट से अपराध घोषित किए जाने के बाद केंद्र सरकार पिछले साल दिसंबर में एक कानून भी लेकर आयी। निकाह हलाला और बहुविवाह को महिलाओं के अधिकारों के खिलाफ माना जाता रहा है। मुस्लिम महिला अधिकार कार्यकर्ताओं का कहना था कि मुस्लिम महिलाओं को इंसाफ दिलाने का मकसद तब तक पूरा नहीं हो सकता, जब तक प्रस्तावित कानून में निकाह हलाला, बहुविवाह और बच्चों के संरक्षण जैसे मुद्दे को शामिल नहीं किया जाता।

जैसा कि हमने ऊपर बताया कि सुप्रीम कोर्ट में निकाह हलाला व बहुविवाह को लेकर चार याचिकाएं दाखिल हुई थीं। इनमें नफीसा खान सहित चारों याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट से इन दोनों प्रथाओं पर रोक लगाने और इन्हें असंवैधानिक करार दिए जाने की मांग की थी। नफीसा ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराएं देश के सभी नागरिकों पर एक समान तरीके से लागू होनी चाहिए। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि तीन तलाक को आईपीसी की धारा 498ए के तहत क्रूरता माना जाता है। यही नहीं बहुविवाह को भी धारा 494 के तहत एक अपराध माना गया है। इन प्रथाओं पर रोक लगाई जानी चाहिए, क्योंकि कानून के तहत ये दोनों अपराध की श्रेणी में आते हैं।