184 शेरों की मौत पर गुजरात हाई कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

गुजरात में पिछले दो वर्षों की अवधि में 184 शेरों की मौत का मामला सामने आया है। इस पर गुजरात हाईकोर्ट ने गंभीर चिंता जताते हुए सरकार से जवाब मांगा है। उसने केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस जारी कर इतनी बड़ी तादाद में शेरों की मौत का कारण जानना चाहा है।

सरकार के हवाले से मीडिया में इस आशय की खबरें आने के बाद उच्च न्यायालय ने इस मामले का स्वत: संज्ञान लिया है। दरअसल राज्य सरकार ने पांच मार्च को विधानसभा में यह जानकारी दी थी कि गुजरात में 2016 और 2017 की अवधि के दौरान 184 शेरों की मौत हुई है। इनमें 32 की मौत अप्राकृतिक कारणों से हुई। यह खबर मीडिया के जरिये सार्वजनिक हुई।

मुख्य न्यायाधीश आर सुभाष रेड्डी और जस्टिस वीएम पंचोली की पीठ ने इस खबर का खुद संज्ञान लिया। पीठ ने केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस जारी कर दिया। अदालत ने जानना चाहा है कि इतनी बड़ी संख्या में शेरों के मरने का कारण क्या है? केंद्र और राज्य सरकार इनकी हिफाजत के लिए क्या कदम उठा रही है? गुजरात सरकार द्वारा विधान सभा में दिए गए आंकड़ों के अनुसार, 2016 में 12 और 2017 में 20 शेरों की मौत अप्राकृतिक कारणों से हुई। जबकि 2016 में 92 और 2017 में 60 शेरों की कुदरती कारणों से मौत हुई। उल्लेखनीय है कि 2015 के आंकड़ों के मुताबिक राज्य में शेरों की कुल संख्या 523 थी। गुजरात का गिर वन्यजीव अभयारण्य एशियाई शेरों के लिए मशहूर है। दक्षिण अफ्रीका के अलावा विश्व का यही ऐसा इकलौता स्थान है, जहां शेरों को अपने प्राकृतिक आवास में रहते हुए देखा जा सकता है।