कैबिनेट मिनिस्टर्स के साथ अनौपचारिक बैठक उन्हें मनाने की कोशिश

 खबरें अभी तक। प्रदेश की मनोहर लाल खट्टर सरकार में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। कुछ कैबिनेट मिनिस्टर सी.एम. की कार्यशैली से खुश नजर नहीं आ रहे। हालांकि वे खुलकर कुछ नहीं बोल रहे, लेकिन अंदरखाते ‘लॉबिंग’ कर रहे हैं।  सी.एम. ने हाल ही में कैबिनेट मिनिस्टर्स के साथ अनौपचारिक बैठक कर उन्हें मनाने की कोशिश की। मंत्रियों का ‘असंतोष’ अगर खुलकर सामने आया, तो इससे खट्टर को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

सी.एम. से नाराज मंत्रियों को उनके विभागों में सी.एम. का दखल रास नहीं आ रहा। कई मंत्री इस बात से भी नाराज हैं कि कुछ अधिकारी उनके निर्देशों की पालना नहीं करते तथा कुछ वरिष्ठ अधिकारी उनके विभागों में अनावश्यक दखल देते हैं। वे सी.एम. का दखल तो बर्दाश्त कर सकते हैं, परंतु अधिकारियों का दखल उन्हें बर्दाश्त नहीं है।

मंत्रियों के साथ-साथ कई विधायक भी नाराज चल रहे हैं। इन विधायकों की शिकायत है कि वे अपने कार्यकर्ताओं के काम नहीं करा पा रहे, जिससे उन्हें कार्यकर्ताओं के गुस्से का सामना करना पड़ रहा है। काम नहीं होने के कारण पार्टी कार्यकर्ता भी सरकार ने नाराज हैं। बीते सप्ताह पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के साथ 3 मंत्रियों ने बंद कमरे में बैठक कर अपनी नाराजगी जाहिर की थी।

मंत्रियों के साथ बैठक के बाद कैलाश विजयवर्गीय पार्टी हाईकमान के समक्ष रिपोर्ट पेश करेंगे। अगर रिपोर्ट नैगेटिव रही, तो हाईकमान खट्टर की खिचाई कर सकता है। सूत्रों के अनुसार सी.एम. को उस समय मंत्रियों को मनाने के लिए मजबूर होना पड़ा। जब कैबिनेट मिनिस्टर ओमप्रकाश धनखड़ के निवास पर रामबिलास शर्मा, विपुल गोयल और अनिल विज ने काफी देर तक आपस में मंत्रणा की। इसके बाद भाजपा की आंतरिक राजनीति में गर्माहट आ गई।

सी.एम. को इस बात की जानकारी भी मिल चुकी है कि कुछ मंत्री उनसे नाराज हैं। कार्यकर्ताओं की नाराजगी की बात भी उनके सामने आ चुकी है। सी.एम. अब जिला स्तर पर कार्यकर्ताओं के बीच जाकर उनकी नाराजगी दूर करने का प्रयास कर रहे हैं। 4 जिलों में वे कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर चुके हैं।

मंत्रियों को मनाने के लिए एक दिन पूर्व ही उन्होंने एक अनौपचारिक बैठक बुलाई थी, जिसमें मंत्रियों की बात को ध्यानपूर्वक सुना था। इसके बावजूद ऐसा नजर नहीं आ रहा कि रूठे हुए मंत्री मान गए होंगे। अभी भी मंत्रियों की नाराजगी बरकरार है। यह बात और है कि हाईकमान के डर से कोई भी मंत्री खुलकर बोलने को तैयार नहीं है।