UIDAI ने सुप्रीम कोर्ट में ‘आधार’ को बताया ठोस, कहा- देश भर में ऑनलाइन पुष्टि योग्य पहचान पत्र

‘आधार’ जारी करने वाले प्राधिकरण यूआईडीएआई के पास ऐसे लोगों का कोई आंकड़ा नहीं है जिन्हें 12 अंकों की बॉयोमीट्रिक पहचान संख्या नहीं होने के कारण लाभ देने से मना कर दिया गया. उच्चतम न्यायालय को गुरुवार (22 मार्च) को इसकी जानकारी दी गयी. भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अजय भूषण पांडेय ने शीर्ष न्यायालय को यह जानकारी दी. न्यायालय ने उनसे पूछा था कि क्या इससे जुड़ा कोई आधिकारिक आंकड़ा है कि कितने लोगों को ‘आधार’ नहीं होने या पहचान की पुष्टि नहीं होने पर लाभ देने से इनकार किया गया.

पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ कर रही है सुनवाई
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने इस बात की ओर इशारा किया कि समय के साथ अंगुलियों के निशान हल्के पड़ जाते हैं और इससे अनभिज्ञ और निरक्षर व्यक्ति‘ असहाय’ हो जाएगा. पीठ ने पांडेय को पावर प्वॉइंट प्रजेंटशन की अनुमति दी. संविधान पीठ ने कहा, ‘‘हमारे पास कोई ऐसा माध्यम नहीं है, जिससे यह मालूम चले कि कितने लोगों को लाभ देने से मना किया गया है… सेवाओं के इनकार को लेकर कोई आधिकारिक आंकड़ा है.’’ इस संविधान पीठ में न्यायमूर्ति ए के सीकरी, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति अशोक भूषण शामिल हैं.

 आधार नहीं होने की सूरत में लाभ देने से मना नहीं किया जा सकता

महाराष्ट्र कैडर के 1984 बैच के आईएएस अधिकारी पांडेय ने कहा कि यूआईडीएआई के पास ऐसे लोगों का कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है, जिन्हें आधार नहीं होने या पहचान की पुष्टि नहीं होने की स्थिति में लाभ देने से मना किया गया हो. उन्होंने कहा कि आंकड़ों के अपडेट नहीं होने की स्थिति में पहचान की पुष्टि नहीं होने पर किसी भी व्यक्ति को किसी भी लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि इस संबंध में कैबिनेट सचिव सहित अन्य अधिकारियों की ओर से अधिसूचना जारी किये जा चुके हैं.

‘आधार’ एक ठोस पहचान पत्र
‘आधार’ डेटा को लेकर उत्पन्न शंकाओं को समाप्त करने का आग्रह करते हुए यूआईडीएआई के सीईओ ने कहा कि ‘आधार’ लोगों को‘ ठोस, आजीवन, पुन: इस्तेमाल में लाये जाने वाला और राष्ट्रभर में ऑनलाइन पुष्टि किये जाने योग्य’ पहचान पत्र है. इसके बाद पीठ ने कहा कि कुछ मौकों पर एक समय के बाद अंगुलियों के निशान जैसे बॉयोमीट्रिक विवरण हल्के पड़ जाते हैं और अनभिज्ञ एवं निरक्षर व्यक्ति शायद उन्हें अपडेट नहीं करा पाएगा और ऐसे में‘ असहाय’ हो जाएगा. पीठ ने न्यायमूर्ति के एस पुत्तास्वामी के वकील श्याम दीवान के आरोपों का भी हवाला दिया.

शुरुआत में पांडेय ने दो प्रोजेक्टरों के माध्यम से प्रेजेंटशन दिया और कहा, ‘एक बहुत बड़ी आबादी के पास राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्य पहचान पत्र नहीं था.’ उन्होंने इस संदर्भ में बच्चों, बुजुर्गों, विस्थापितों, श्रमिकों, गरीबों और बेसहारा लोगों का जिक्र किया. सीईओ ने कहा कि आधार के लिए महज लोगों के फोटो, पता, अंगुलियों के निशान और आंखों की पुतलियों से संबंधित डेटा की ही जरूरत पड़ती है. इसमें ‘धर्म, जाति, जनजाति, भाषा, पात्रता का ब्योरा, आय या स्वास्थ्य विवरण और पेशे’ से जुड़ी जानकारी नहीं मांगी जाती है. उन्होंने कहा कि यूआईडीएआई अब इस स्तर पर पहुंच चुका है कि वह प्रतिदिन 15 लाख आधार नंबर जारी करने, मुद्रण और उन्हें भेजने में सक्षम है.

बॉयोमीट्रिक आंकड़ा सुरक्षित
आंकड़ों की सुरक्षा के बारे में सीईओ ने कहा कि पंजीयन एजेंसी द्वारा एक बार बॉयोमीट्रिक आंकड़े दिये जाने के बाद उन्हें कूट भाषा में परिवर्तित कर दिया जाता है और केंद्रीय पहचान डेटा भंडार (सीआईडीआर) में संरक्षित कर लिया जाता है. आंकड़ों की पुष्टि के बारे में उन्होंने कहा कि यूआईडीएआई आधार कार्ड के जरिये की गयी किसी भी लेनदेन पर नजर नहीं रखता है.उन्होंने कहा, ‘‘अगर कोई आधार के जरिये बैंक खाता खोलता है या मोबाइल फोन लेता है तो यूआईडीएआई को खाते के विवरण और मोबाइल नंबर के बारे में कोई जानकारी नहीं होगी.’’

डेटा से छेड़छाड़ की गुंजाइश नहीं
सीईओ ने कहा कि जुलाई के बाद से अंगुलियों के निशान या पुतलियों के अलावा फोटो के जरिये भी किसी भी व्यक्ति की पहचान हो सकेगी और उसे लाभ से वंचित नहीं किया जाएगा. पीठ ने इसके बाद उन आरोपों का जिक्र किया, जिसमें डेटा से छेड़छाड़ की आशंका जताई गई है क्योंकि सॉफ्टवेयर बाहर से लिया गया है. सीईओ ने कहा, ‘‘ये हमारा सॉफ्टवेयर है और हमारे द्वारा विकसित है.’’ उन्होंने कहा कि केवल बॉयोमीट्रिक आंकड़ों के मिलान करने वाले सॉफ्टवेयर को तीन सर्वश्रेष्ठ कंपनियों से लिया गया है. पांडेय ने कहा कि आधार सॉफ्टवेयर इंटरनेट से जुड़ा हुआ नहीं है क्योंकि‘ हम इस बात से अवगत हैं कि कुछ लोग सिस्टम को हैक कर सकते हैं.’’ प्रजेंटेशन पूरा नहीं हुआ है और 27 मार्च को जारी रहेगा.