सांसदों के भत्ते में इजाफे को मिली मंजूरी, 1 अप्रैल से होगा लागू

 सांसद के वेतन और भत्ता कमेटी ने सांसदों की सैलरी में बदलाव को मंज़ूरी दे दी है. कमेटी की बैठक में सांसदों के भत्ते बढ़ाने को हरी झंडी दे दी. सांसदों का संविधान भत्ता 45 हज़ार से बढ़ाकर 70 हज़ार कर दिया गया है. इसी तरह सांसदों का फर्नीचर भत्ता 75 हज़ार से बढ़ाकर एक लाख करने का फ़ैसला किया गया है. सांसदों के दफ़्तर के खर्च के नाम पर मिलने वाला भत्ता 45 हज़ार से बढ़ाकर 60 हज़ार करने को मंज़ूरी दे दी गई है. बढ़ा हुआ भत्ता सांसदों को एक अप्रैल से मिलेगा. संसद के बजट सत्र में ही राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति और न्यायाधीशों की सैलरी भी बढ़ाई गई थी.

वित्त विधेयक में प्रस्ताव 
संसद में गुरुवार (1 फरवरी) को पेश किए गए वित्त विधेयक में सरकार ने प्रस्ताव किया कि सांसदों का मूल वेतन मौजूदा 50,000 रुपये से बढ़ा कर एक लाख रुपया किया जाएगा. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपना 5वां बजट पेश करते हुए मुद्रास्फीति के अनुरूप प्रत्येक पांच साल में सांसदों के वेतन में स्वत: संशोधन के लिए गुरुवार (1 फरवरी) को एक कानून का भी प्रस्ताव रखा था.

हर पांच साल में खुद ही बदलेगा वेतन
अरुण जेटली ने संसद में कहा, ‘इसलिए, मैं एक अप्रैल, 2018 से वेतन, निर्वाचन क्षेत्र भत्ता, कार्यालय व्यय और सांसदों को दिए जाने वाले मुलाकात भत्ते के पुन: निर्धारण के लिए आवश्यक परिवर्तनों का प्रस्ताव कर रहा हूं.’
उन्होंने कहा कि इस कानून के तहत मुद्रास्फीति के अनुरूप प्रत्येक पांच वर्ष में सांसदों के वेतन में स्वत: संशोधन हो जाएगा और सांसद इस कदम का स्वागत करेंगे और भविष्य में उन्हें इस तरह की किसी आलोचना का सामना नहीं करना पड़ेगा.

मिलते हैं 50,000 रुपये
वर्तमान में, किसी सांसद के पारिश्रमिक में प्रतिमाह 50,000 रुपए का मूल वेतन, 45 हजार रुपया निर्वाचन क्षेत्र भत्ता के अलावा अन्य सुविधाएं शामिल हैं. सरकार फिलहाल लगभग 2.7 लाख रुपए प्रतिमाह हर सांसद पर खर्च करती है.

काम नहीं तो वेतन नहीं
बीजेपी की दिल्ली प्रदेश इकाई के अध्यक्ष तथा सांसद मनोज तिवारी ने लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन को लिखे एक पत्र में निचले सदन में गतिरोध को लेकर अपनी पीड़ा जाहिर की. उन्होंने कहा कि यह देखना भी उतना ही दुखी करने वाला है कि जन प्रतिनिधि अपनी जिम्मेदारियों से भाग रहे हैं. उन्होंने लिखा, ‘इसलिए मैं सांसदों के किसी रचनात्मक कार्य में शामिल नहीं होने पर उनका वेतन काटने का प्रस्ताव रखता हूं और काम नहीं तो वेतन नहीं’ नियम का पालन किया जाना चाहिए. संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण में विपक्षी पार्टियां विभिन्न मुद्दों को लेकर संसद के दोनों सदनों में हंगामा कर रही हैं जिससे संसद की कार्यवाही बाधित हो रही है.