विश्व जल दिवस: आपका समय तो बीत जाएगा लेकिन आने वाली पीढ़ियां अपना गला कैसे तर करेंगी

हर रोज पानी बर्बाद करने के बाद पानी की किल्लत के जिम्मेदार हम सब हैं। हमने इसे जमकर बर्बाद किया और करते जा रहे हैं। हमें लगता है कि सब कुछ ऐसे चलता रहेगा। अरे, अगर पानी के लिए तीसरे विश्वयुद्ध की बात की जा रही है तो अनायास नहीं है। आपका समय तो बीत जाएगा लेकिन आने वाली पीढियां अपना गला कैसे तर करेंगी? आज जल दिवस है।

25 साल हो गया इस दिन को मनाते हुए। मकसद यह था कि लोग इस दिवस से कुछ सीख लेकर अपने अस्तित्व के लिए पानी का अस्तित्व बरकरार रखेंगे। लेकिन फलां नहीं पानी बचा रहा तो हम क्यों बचाएं, इस सोच से मुक्ति पानी होगी। और सबको एक साथ इसके लिए आगे आना होगा। इस बार जल दिवस की थीम है नेचर फॉर वाटर यानी इस समस्या का ऐसा समाधान खोजना जो प्रकृति पर ही आधारित हो। तो आइए, प्रकृति की इस समस्या के लिए प्रकृति को ही ढाल बनाएं।

पानी का मोल प्यास लगने पर ही मालूम पड़ता है। कोई भी तरल इसका विकल्प नहीं बन पाता। गला तर तभी होता है जब पानी की बूंदें हलक से नीचे उतरती हैं। कभी धरती पर मौजूद पर्याप्त मात्रा में इस प्राकृतिक संसाधन को लेकर इतना मारामारी क्यों हो गई है? कई मुल्कों में पानी की समस्या बारहमासी हो गई है। बड़ी संख्या में लोगों को साफ जल नहीं मिल रहा है। केपटाउन, कैलिफोर्निया से लेकर कोलकाता तक जैसे दुनिया में सैकड़ों ऐसे शहर हैं जहां इस संसाधन की गंभीर समस्या खड़ी हो चुकी है।