हिमाचल प्रदेश मैडीकल ऑफिसर्ज एसोसिएशन की दो टूक

खबरें अभी तक। जैनरिक दवाइयों पर आए दिन प्रदेश सरकार की ओर से आ रही टिप्पणियों पर हिमाचल प्रदेश मैडीकल ऑफिसर्ज एसोसिएशन ने दो टूक जवाब देते हुए नसीहत दी है कि पहले सरकार दवाइयों की गुणवत्ता व मूल्य पर कंट्रोल करे। संघ पदाधिकारियों ने खुलासा किया कि अब तक हिमाचल में जैनरिक दवाइयां बेची ही नहीं जा रही हैं।

330 जैनरिक दवाइयां अब तक कितने अस्पतालों में पहुंची हैं तथा सरकार द्वारा खोली गई सिविल सप्लाई की दुकानों से बेची दवाइयों में से कितनी जैनरिक हैं, इससे भी सरकार पर्दा उठाए। उन्होंने सवाल पूछा कि आखिर जैनरिक दवाइयों की परिभाषा बताई जाए। उन्होंने स्पष्ट किया कि साल्ट के नाम से बाजार में उपलब्ध दवाइयां जिन पर कंपनी का सिर्फ नाम हो, ही जैनरिक होती हैं तथा इन दवाइयों को कंट्रोल रेट पर बेचा जा सकता है लेकिन ऐसी दवाइयां प्रदेश के किसी भी स्टोर पर उपलब्ध नहीं हैं।

बुधवार को हमीरपुर के एक होटल में आयोजित हुई एसोसिएशन की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में एसोसिएशन ने माननीय हाईकोर्ट से भी जनहित के इस मुद्दे में दखल देने का आग्रह किया है। बैठक के बाद आयोजित प्रैस वार्ता में एसोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष डा. जीवानंद चौहान, महासचिव डा. पुष्पेंद्र वर्मा, संत राम, राजेश राणा, देवेंद्र, विकास, विजय राय, मोङ्क्षहद्र, दिलबाग, हर्षबर्धन व सन्नी धीमान सहित अन्य पदाधिकारियों ने नाराजगी जाहिर की कि अपनी सेवाओं का पूरी ईमानदारी से निर्वहन करें।

चिकित्सा अधिकारियों को सरकार में बैठे कुछेक ब्यूरोक्रेट्स केवल टारगेट कर रहे हैं तथा सरकार को गुमराह कर रहे हैं। उन्होंने प्रदेश मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर व स्वास्थ्य मंत्री विपिन परमार से आग्रह किया है कि लोगों व विभाग से जुड़ी समस्याओं के लिए उन्हें सरकार वार्ता के लिए बुलाए ताकि तथ्यों सहित सच्चाई से अवगत करवाया जा सके। उन्होंने कहा कि वे सरकार के साथ हैं तथा बेहतरीन स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया करवाने के प्रति कटिबद्ध हैं।

4 लोगों के बहकावे में हिमाचली चिकित्सकों की अनदेखी
एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने प्रदेश के 4 मैडीकल कालेजों हमीरपुर, चम्बा, नाहन व मंडी में सेवाएं दे रहे प्राचार्यों की नियुक्तियां भी रद्द करने की मांग की। उन्होंने कहा कि चारों कालेजों के प्राचार्यों की आयु 62 साल से ऊपर है जोकि भारत सरकार के दिशा-निर्देशों व डी.पी.सी. की भी अवहेलना है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में प्रदेश स्वास्थ्य विभाग में ऐसे चिकित्सा अधिकारी हैं जोकि पदोन्नति की कतार में खड़े हैं तथा इन पदों के लिए योग्यता रखते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि इन कालेजों में बैठे ये 4 लोग भी सरकार को गुमराह करने में लगे हैं। कालेजों में हिमाचली चिकित्सकों की अनदेखी कर अनुबंध पर बाहरी लोगों को एसोसिएट प्रोफैसर व सीनियर रैजीडैंट के पदों पर नियुक्त किया जा रहा है।

पी.जी. पॉलिसी बदली जाए
बैठक में पी.जी. पॉलिसी को बदलने की मांग की गई। एसोसिएशन पदाधिकारियों ने कहा कि वर्तमान पॉलिसी के चलते हमीरपुर, बिलासपुर, सोलन, कांगड़ा व मंडी आदि जिलों में चिकित्सकों की कमी से सरकार को जूझना पड़ रहा है। उन्होंने इस पॉलिसी को बदलकर इसमें पी.जी. कोॢसज के लिए सेवारत चिकित्सा अधिकारियों को 50 प्रतिशत सीटें देने की मांग भी सरकार से उठाई। उन्होंने मांग उठाई कि डाक्टरों की नियुक्ति अनुबंध की बजाए रैगुलर या एडहॉक पर की जाए।