गांव के हिंदी मीडियम स्कूल से मिग-21 की सीट तक का सफर

22 वर्षीय अवनि चतुर्वेदी ने भारत की पहली महिला लड़ाकू पायलट बन विश्वपटल पर नारी सशक्तीकरण का नया अध्याय लिखा। अवनि ने हाल ही में मिग-21 ‘बाइसन’ लड़ाकू विमान को अकेले उड़ाकर इतिहास रचा है। अकेले लड़ाकू विमान उड़ाने वाली वह भारत की पहली महिला बनीं। अवनि के पेरेंट सविता और दिनकर प्रसाद चतुर्वेदी मध्य प्रदेश के शहडोल जिले के एक कस्बानुमा गांव देवलोंद में रहते हैं। सोन नदी पर बाणसागर बांध यहीं पर बना है। दिनकर मप्र जलसंसाधन विभाग में बतौर कार्यकारी अभियंता पदस्थ हैं। शनिवार को दैनिक जागरण से बातचीत में उन्होंने और सविता ने अपनी बेटी अवनि के फाइटर पायलट बनने की पूरी कहानी विस्तार से बयां की। वायुसेना के नियम-कायदों के चलते अवनि से सीधे संवाद स्थापित नहीं किया जा सका, लेकिन उनके पिता के माध्यम से हमने उनकी प्रतिक्रिया जानी।

लड़कियां यह क्यों नहीं कर सकतीं

अवनि इस समय सूरतगढ़, राजस्थान स्थित भारतीय वायु सेना के लड़ाकू स्क्वाड्रन में पदस्थ हैं। अपनी इस उपलब्धि को शुरुआती कदम बताने वाली अवनि का कहना है कि किसी भी काम के लिए बस आत्मबल और दृढ़ इच्छाशक्ति की जरूरत है, लड़कियां भी हर चुनौती का सामना कर सकती हैं।

सरकारी हिंदी मीडियम स्कूल में की पढ़ाई

अवनि के पिता दिनकर बताते हैं, अवनि और उसके बड़े भाई नीरभ्र की स्कूली शिक्षा कस्बे के आदर्श उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में ही हुई, जो कि हिंदी मीडियम सरकारी स्कूल है।