राहुल गांधी के सेनापति ने रचा ऐसा व्यूह, फेल हो गए शिवराज के दांव

खबरें  अभी तक। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले कोलारस और मुंगावली सीट पर हुए उपचुनाव में जनता ने कांग्रेस के प्रति भरोसा जताया है. रुझानों में दोनों सीटों पर राज्य में सत्ताधार बीजेपी के प्रत्याशी लगभग हार की कगार पर पहुंच चुके हैं. यूं तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जीत के लिए भरपूर ताकत झोंकी, लेकिन इस बार राज्य में कांग्रेस के युवराज ज्योतिरादित्य सिंधिया के सामने उनके दांव फेल साबित हुए हैं. दो विधानसभा सीटों के उपचुनाव में सीएम शिवराज ने अपने 15 से ज्यादा मंत्रियों को प्रचार में लगा दिया था, जिसके बाद इसे सत्ता का सेमीफाइनल माना जाने लगा.

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की नई टीम के अहम साथी ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी सीएम शिवराज की चुनौती को स्वीकारते हुए पूरे दमखम के साथ उन्हें चुनौती देने की कोशिश की, जिसमें उन्हें सफलता भी मिली है.

ज्योतिरादित्य ने साबित किया गढ़ में कैसे घेरे जाते हैं विरोधी-
कोलारस और मुंगावली विधानसभा क्षेत्र कांग्रेस का गढ़ माना जाता है. मध्य प्रदेश की राजनीति पर करीब से नजर रखने वाले बताते हैं कि सीएम शिवराज की प्लानिंग थी कि वह कांग्रेस के गढ़ में ज्योतिरादित्य को चित करें. इसी के चलते सीएम ने खुद प्रचार का मोर्चा संभाल रखा था. पूरे चुनाव प्रचार में शिवराज ने ‘लाड़ली लक्ष्मी’ और ‘मुख्यमंत्री तीथदर्शन योजना’ की उपलब्धियां गिनाने के बजाय सिंधिया पर निशाने साधने में लगे रहे.

इसके जवाब में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने स्थानीय मुद्दों को उठाने के साथ जातीय समीकरण को साधने में पूरी ताकत झोंकी. सिंधिया की रणनीति का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि मुंगावली क्षेत्र में पड़ने वाले गणेश शंकर विद्यार्थी शासकीय महाविद्यालय के प्रिंसिपल के सस्पेंड किए जाने की घटना को भी उन्होंने राजनीतिक रंग दे दिया था. दरअसल, प्रिंसिपल बीएल अहिरवार के सस्पेंड किए जाने से वहां का युवा नाराज था. ज्योतिरादित्य ने इसे भांपते हुए युवाओं के साथ धरने पर बैठ गए थे, जिसके बाद सरकार को अपना फैसला पलटना पड़ा था.

इसके अलावा ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अशोक नगर जिले की मुंगावली और शिवपुरी जिले की कोलारस विधानसभा सीट पर यहां जाति आधारित समूहों के साथ कई बार सीधा संवाद किया. पूरे चुनाव प्रचार के दौरान सिंधिया सकारात्मक एजेंडा रखा.

शिवराज जहां सिंधिया पर पर्सनल अटैक करने में लगे थे, वहीं सिंधिया लगातार ये कहते रहे कि वे राज्य में बदलाव के लिए आए हैं. वे चाहते हैं कि कांग्रेस एक बार फिर से सत्ता में आए ताकि गांव के लोगों की हर इच्छा को पूरा किया जाएगा.